देश में सक्रिय दुनिया की चार ऑडिट फर्में ऐसे-ऐसे काम भी कर रही हैं जिनकी उन्हें इजाजत नहीं दी गई है। यह कहना है देश में एकाउंटिंग व ऑडिटिंग की नियामक संस्था आईसीएई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंटट्स ऑफ इंडिया) की एक शीर्ष समिति का। आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल की अगुआई में बनी इस समिति का कहना है कि प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स, केपीएमजी, अर्न्स्ट एंड एंग और डेलॉइटे को देश में कंसलटेंसी सेवाएं देने की अनुमति दी गई है। लेकिन वे अपनी हद से बाहर जाकर टैक्सेशन, ऑडिटिंग, एकाउंटिग, बुक कीपिंग और वकालत जैसी सेवाएं तक दे रही हैं।
यह समिति सत्यम घोटाले से जुड़े मसले पर जांच कर रही है। उसका कहना है कि इन बहुराष्ट्रीय एकाउंटिंग फर्मों ने कंसल्टिंग सेवाओं के लिए ऑटोमेटिक या एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) की अनुमति पाकर देश में प्रवेश किया। लेकिन अब काम ऐसे कर रही हैं जिनकी इजाजज इन्हें देश का कानून नहीं देता। बता दे कि इस समय एकाउंटिंग, ऑडिटिंग, टैक्सेशन व वकालत में रत्ती भर भी विदेशी निवेश की इजाजत नहीं है। लेकिन कंसल्टेंसी सेवाओं में है। तो, इसका फायदा उठाकर विदेशी फर्में दूसरे धंधे भी आजमा रही हैं।
इन चारों फर्मों ने भारत में अपनी इकाइयां बना रखी हैं। अपने ही नाम की भारतीय सहयोगी फर्में बना रखी हैं और बेधड़क ऐसे काम करती हैं जिनकी किसी विदेशी फर्म को कानूनन इजाजत नहीं दी गई है। मसलन, घोटाले में फंसी सत्यम कंप्यूटर्स में ऑडिट का प्रमुख काम प्राइस वाटरहाउस ही देखती रही थी।