गल्फ के लुब्रीकेंट में ओएनजीसी

गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन अपना लुब्रीकेंट व्यवसाय अलग कर एक एसपीवी (स्पेशल परपज वेहिकल) बनाने जा रही है। बाजार सूत्रों के मुताबिक सरकारी कंपनी ओएनजीसी इस तरह बननेवाली नई कंपनी में प्रमुख हिस्सेदारी लेने को तैयार हो गई है। बता दें कि गल्फ ऑयल इंडिया की प्रवर्तक मॉरीशस की कंपनी गल्फ ऑयल इंटरनेशनल है जिस पर पूरी तरह हिंदुजा समूह का नियंत्रण है। हिंदुजा समूह हाल ही में आधिकारिक रूप से कह चुका है कि वह अपने ऑयल व लुब्रीकेंट व्यवसाय के लिए 100 अरब डॉलर का आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) विदेश में लाएगा।

बता दें कि इस समय देश में लुब्रीकेंट व्यवसाय में केवल तीन कंपनियां हैं – टाइड वाटर, कैस्ट्रॉल और गल्फ ऑयल। इसमें गल्फ ऑयल की स्थिति काफी मजबूत है। इसीलिए ओएनजीसी इसके लुब्रीकेंट व्यवसाय में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी हासिल करना चाहती है। इस चर्चा से गल्फ ऑयल के शेयर में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग हो रही है। ओएनजीसी के साथ संयुक्त उद्यम बनाने से कंपनी को जो रकम मिलेगी, उसे वह रीयल्टी कारोबार को बढ़ाने में लगाएगी। कंपनी के पास मुंबई में 80 एकड़, हैदराबाद में 800 एकड़ और बंगलौर में 40 एकड़ जमीन है।

इस तरह लगभग 1000 एकड़ जमीन पर रीयल्टी कारोबार को बढ़ाने के लिए वह तीन साल पहले 2007 में ही अपने पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी बना चुकी है। गल्फ ऑयल की योजना हैदराबाद और बंगलौर में आईटी पार्क बनाने की है। इसकी अनुमानित 900 करोड़ रुपए है। गल्फ ऑयल की इक्विटी पूंजी 14.8 करोड़ रुपए है। बीएसई में 109.30 रुपए के मौजूदा भाव पर गल्फ ऑयल का बाजार पूंजीकरण लगभग 814 करोड़ रुपए है।

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी हिमाचल फ्यूचरिस्टिक समूह की कंपनी इनफोटेल ब्रॉडबैंड में 95 फीसदी इक्विटी खरीदने के बाद ब्रॉडबैंड लाइसेंस वाली दूसरी कंपनियों की तालश में जुट गए हैं। उनकी नजर मुंबई की एक कंपनी आईओएल नेटकॉम पर है जिसके पास स्थानीय स्तर पर दक्षिण मुंबई में कम से कम चार लाइसेंस हैं। बाजार में चर्चा है कि मुकेश अंबानी आईओएल नेटकॉम के मालिक सिद्धार्थ श्रीवास्तव से ये लाइसेंस हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। अगर संभव हुआ तो वे पूरा कैश देकर ये लाइसेंस खरीद लेंगे और अगर ऐसा हुआ कि कंपनी को मिले लाइसेंस दूसरे के नाम में ट्रांसफर नहीं हो सकते तो वे पूरी कंपनी ही खरीद लेंगे।

बता दें कि आईओएल नेटकॉम का शेयर जुलाई 2007 में 600 रुपए तक जा चुका है। हालांकि बाजार में अभी इसका भाव मात्र 16 रुपए चल रहा है। यह शेयर करीब तीन साल पहले तब बढ़ा था जब लाइसेंस के चलते इसका मूल्यांकन बढ़ गया था और एफआईआई इसमें सक्रिय हो गए थे। इसकी इक्विटी 27 करोड़ रुपए है। प्रति शेयर बुक वैल्यू 32 रुपए है, जबकि कंपनी का बाजार पूंजीकरण 43 करोड़ रुपए है।

डिस्क्लेमर: ये सूचनाएं बाजार में चल रही चर्चाओं पर आधारित हैं। इसलिए केवल इन्हीं के आधार पर निवेश का कोई निर्णय लेना जोखिम भरा हो सकता है।

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