शेयर बाजारों में लिस्टेड या सूचीबद्ध कंपनियों को अब हर छह महीने पर बताना होगा कि उनकी आस्तियों और देनदारियों (एसेट व लायबिलिटीज) की स्थिति क्या है। यह जानकारी उन्हें अपने छमाही नतीजों में अलग से एक नोट में देनी होगी। सभी स्टॉक एक्सचेजों के नाम आज जारी किए गए एक सर्कुलर में पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने यह फैसला सुनाया है। सेबी ने स्पष्ट किया है कि हर छमाही बीतने के 45 दिनों के भीतर कंपनी की ताजा आस्तियों व देनदारियों की स्थिति शेयरधारकों के सामने आ जानी चाहिए। सेबी का यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया ह
बता दें कि लिस्टेड कंपनियां वैसे तो तिमाही व छमाही नतीजे घोषित करती रही हैं। लेकिन आस्तियों-देनदारियों के साथ अपनी पूरी माली हालत की जानकारी वे साल में एक बार ही देती हैं। लेकिन सेबी का कहना है कि हाल के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद शेयरधारकों के नजरिए से कंपनी की माली हालत या सॉल्वेंसी का मुद्दा सबसे अहम हो गया है। सेबी ने यह भी तय किया है कि अब कंपनियों को अपने अकेले (स्टैंड-अलोन) व समेकित वित्तीय परिणाम हर तिमाही के 45 दिन के भीतर घोषित कर देने होंगे। अभी तक कंपनियां यह काम क्रमशः एक और दो महीने में करती रही हैं। दोनों तरह के सालाना नतीजों के लिए अधिकतम समय तीन महीने से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है।
सत्यम घोटाले से सबक लेते हुए सेबी ने तय किया है कि लिस्टेड कंपनियों के बारे में वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वही ऑडीटर दे सकते हैं जो आईसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया) की पियर रिव्यू प्रक्रिया से गुजरे हों और जिनके पास आईसीएआई के पियर रिव्यू बोर्ड की तरफ से जारी किया गया वाजिब प्रमाण-पत्र हो। इसके लिए स्टॉक एक्सचेंजों के लिस्टिंग एग्रीमेंट के अनुच्छेद 41 में नई शर्त जोड़ी जाएगी। यह नियम 1 अप्रैल 2010 के बाद कंपनी की तरफ से जमा की जानेवाली सभी वित्तीय जानकारियों पर लागू होगा। सेबी का कहना है कि आईसीएआई ने पियर रिव्यू का खास तरीका बनाया है जिससे हर चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म और इंस्टीट्यूट के सदस्यों को गुजरना होगा।
कंपनियों में रखे जानेवाले सीएफओ (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) के पास एकाउंटिंग व वित्तीय प्रबंधन की पूरी जानकारी हो, इसके लिए सेबी ने तय किया है कि प्रबंधन की तरफ से अंतिम नियुक्ति से पहले उसका अनुमोदन ऑडिट कमिटी से कराना होगा। यह कमिटी सीएफओ की योग्यता, अनुभव व पृष्ठभूमि का आकलन करेगी। सेबी का यह फैसला भी तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
इसके अलावा सेबी ने कंपनियों के विलय व अधिग्रहण और अंतरराष्ट्रीय एकाउंटिंग मानकों को अपनाने के बारे में कुछ नए फैसले किए हैं। पूंजी बाजार नियामक का कहना है कि इन कदमों का मकसद लिस्टेड कंपनियों के संचालन में अधिक पारदर्शिता और कुशलता लाना है। स्टॉक एक्सचेजों को सेबी के नए सर्कुलर के मुताबिक अपने लिस्टिंग एग्रीमेंट में संशोधन करने होंगे। ये संशोधन कहां और कैसे करने हैं, इसका पूरा विवरण सेबी ने पेश कर दिया है।