रविवार को दोपहर बाद दुबई की गुमनाम ब्यूटीशियन सुनंदा पुष्कर ने आईपीएल की कोच्चि टीम की मालिकों में शुमार रॉनदिवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड में मुफ्त में मिली 18 फीसदी इक्विटी पर अधिकार छोड़ने का ऐलान कर दिया तो रात गहराते-गहराते उनके करीबी दोस्त व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर भी मंत्रिमंडल से निपट गए। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश के बाद थरूर अपना इस्तीफा लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने बिना लालबत्ती की गाड़ी में पहुंचे। प्रधानमंत्री ने उनका इस्तीफा अपनी सिफारिश के सथ राष्ट्रपति के पास भेज दिया और राष्ट्रपति ने कुछ भी देर में उसे मंजूर करने की औपचारिकता निभा दी।
उधर सुनंदा पुष्कर के वकील आशीष मेहता ने दिन में बयान दिया कि सुनंदा रॉनदिवू स्पोर्ट्स में अपनी हिस्सेदारी स्वेच्छा से छोड़ रही हैं क्योंकि वे अपने ऊपर लग रहे अनर्गल आरोपों से बेहद आहत हैं। बता दें कि रॉनदिवू कंसोर्टियम ने कोच्चि की आईपीएल टीम 33.33 करोड़ डॉलर में खरीदी है। लेकिन कंसोर्टियम के मालिकाने के स्वरूप को लेकर कई दिनों से बवाल मचा हुआ है और इससे आईपीएल के कमिश्नर ललित मोदी और विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर की कुर्सी खतरे में पड़ गई है।
रॉनदिवू कंसोर्टियम में कुल पांच फर्में शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा 27 फीसदी इक्विटी पहले एंकर स्विच और अब एंकर टूथपेस्ट व साबुन बनानेवाली कंपनी एंकर अर्थ की है जिसके मालिक मेहुल शाह हैं। इसके बाद 26 फीसदी इक्विटी पाणिनी डेवलर्स की है जिसके मालिक विपुल शाह हैं। 26 फीसदी ही इक्विटी रॉनदिवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड की है, लेकिन उसने असल में केवल एक फीसदी ही लगाई है और बाकी 25 फीसदी इक्विटी उसे मुफ्त में मिली है, जिसे स्वेट इक्विटी कहा जाता है। कंसोर्टियम के बाकी हिस्सेदारों में एंटवर्प की डायमंड कंपनी रोज़ी ब्लू के मालिक हर्षद व दिलीप मेहता (12 फीसदी), मुंबई की रीयल एस्टेट फर्म आनंद एस्टेट के मालिक आनंद शाह (8 फीसदी) और केरल में शराब का धंधा चलानेवाली कंपनी के मालिक विवेक वेणुगोपाल (1 फीसदी) शामिल हैं।
लेकिन असली विवाद रॉनदिवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड को मुफ्त में मिली 25 फीसदी इक्विटी को लेकर है। यह 1000 रुपए के शेयरों में विभाजित है। इसमें से 75.4 फीसदी शेयर महाराष्ट्र में सोलापुर के गायकवाड़ परिवार 18 फीसदी सुनंदा पुष्कर और 6.6 फीसदी अन्य की है। अब सुनंदा ने अपने हिस्से के 18 फीसदी मुफ्त शेयर छोड़ दिए हैं, जिसकी कीमत 70 करोड़ डॉलर बताई जाती है।
लेकिन इसके बावजूद शशि थरूर को लेकर विपक्ष का हमला धीमा नहीं पड़ा। बीजेपी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि शशि थरूर ने संसद में कहा था कि सुनंदा ने रॉनदिवू में जो हिस्सेदारी पाई है, वह एकदम उनका निजी व व्यावसायिक फैसला है। फिर अब वो शेयर वापस क्यों कर रही हैं? उनका कहना था कि सुनंदा ने जिस तरह शेयर वापस करने की घोषणा की है कि उससे साबित होता है कि वह शशि थरूर के फ़्रंट के तौर पर काम कर रही थीं। इसलिए थरूर को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बाद में थरूर के इस्तीफे के बाद उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताया।
असल में दिक्कत यह भी थी कि थरूर की महिला मित्र सुनंदा पुष्कर अपनी स्वेट इक्विटी को लेकर कानून के घेरे में भी आने लगी थी। कंपनी एक्ट 1956 के अनुच्छेद 79-ए के अनुसार कोई कंपनी अपने गठन के कम से कम एक साल बाद ही स्वेट इक्विटी जारी कर सकती है, जबकि रॉनदिवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड का गठन 17 मार्च 2010 को हुआ है। दूसरे, कंपनी अपनी कुल चुकता पूंजी का अधिकतम 15 फीसदी हिस्सा या 5 करोड़ रुपए मूल्य (इनमें से जो भी ज्यादा हो) के शेयर ही जारी कर सकती है। इससे अधिक स्वेट इक्विटी देने के पहले उसे भारत सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। तीसरे, कंपनी अपने किसी कर्मचारी या निदेशक बोर्ड के सदस्य को ही मुफ्त में ऐसे शेयर दे सकती है। सुनंदा पुष्कर यह शर्त पूरी नहीं करतीं। इसलिए उनको मिले शेयर गैर-कानूनी थे।