वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में वर्षा आधारित इलाकों के 60,000 गांवों को दलहन व तिलहन गांवों के रूप में चुना गया है। इनके लिए कुल 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यानी, हर गांव के लिए केवल 50 हजार रुपए रखे गए हैं। कृषि व उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री प्रोफेसर के वी थॉमस ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि यह धन राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अधीन अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराया गया है।
आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में देश में दलहन की बोवाई का 83 फीसदी और तिलहन की बोवाई का 86 फीसदी क्षेत्रफल पड़ता है। इन्ही राज्यों को केंद्रीय सहायता के लिए चुना गया है। इस योजना में आंध्र प्रदेश के 6600 गांव (रकम 33 करोड़ रुपए), गुजरात के 5400 गांव (रकम 27 करोड़ रुपए), कर्नाटक के 6600 गांव (रकम 33 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र के 14,400 गांव (रकम 72 करोड़ रुपए), मध्य प्रदेश के 10,200 गांव (रकम 51 करोड़ रुपए), राजस्थान के 11,400 गांव (रकम 57 करोड़ रुपए) और उत्तर प्रदेश के 5400 गांव (रकम 27 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
सरकार का मानना है कि इस योजना पर अमल से इन राज्यों में दलहन व तिलहन का उत्पादन कम से कम 10 फीसदी बढ़ जाएगा। मंत्री ने लोकसभा को यह भी बताया कि 2009-10 में एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी व एनसीसीएफ जैसी चार सरकारी संस्थाओं ने नौ राज्यों को 2.50 लाख ज्यादा आयातित दाल सप्लाई की है। ये राज्य हैं – पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश।