चलीं बाजार गिराने की अफवाहें

मुझे लग रहा था कि बाजार आज से ही यू-टर्न ले लेगा। एफआईआई के रुख से भी ऐसा लग रहा था। कल जो बिकवाली चली, वह तो रूटीन कामकाज का हिस्सा थी जब एफआईआई और ऑपरेटर ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करते हैं जिससे ट्रेडर व निवेशक डर जाएं। और, ऐसा करने में वे सफल भी रहे। मुझे अच्छे-खासे लोगों ने फोन करके कहा कि बाजार बैठने वाला है। दूसरी अफवाह यह चली कि मौद्रिक नीति में ऐसा कुछ आनेवाला है जो रीयल्टी सेक्टर के लिए बहुत बुरा होगा। ब्याज दरें एकदम तेजी से बढ़ जाएंगी। असल में, एक सूत्र ने तो मुझसे यहां तक कह दिया कि आईपीएल विवाद के चलते सरकार गिर जाने के आसार हैं।

यह सारी निराधार प्लांटेड खबरें हैं। रोलओवर के ठीक पहले ऐसा होना आम है। हमारे पास रोलओवर के लिए नौ और छह दिन बचे हैं। इससे पहले मंगलवार को मौद्रिक नीति आ रही है और मैं पहले ही अपनी राय दे चुका हूं कि शायद ब्याज दर में कोई वृद्धि न हो।

ये हमारे विचार हैं और आप लोग अपनी राय रखने को स्वतंत्र हैं। अगर आप बाजार गिरने की सोच के साथ शॉर्ट सौदे करना चाहते हैं तो आप एकदम कर सकते हैं। इस धरती पर कोई आपको रोक नहीं सकता। हम निफ्टी से लेकर गैल इंडिया, टाटा स्टील, सेसा गोवा, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज, पोलारिस, टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टुब्रो, आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे तमाम शेयरों में पर्याप्त काटछांट देख चुके हैं जिससे साफ लगता है कि ये बाउंस-बैक करेंगे।

इसी के साथ निफ्टी में 50 अंकों के आसपास के करेक्शन या कमी ने ट्रेडर्स को हल्का-सा परेशान किया है और वे शॉर्ट सेल करने लगे हैं। उन्होंने अपनी डिलीवरी वाली होल्डिंग भी घटा दी है। उन्होंने आज निफ्टी में 5250 और 5280 के बीच बड़े स्तर पर खरीद की है और खरीद का उनका औसत स्तर 5267 का रहा है। इसलिए मैं मानता हूं कि निफ्टी सोमवार को उठेगा और इस बात की भी स्पष्ट संभावना है कि इसी सेटलमेंट में कवरिंग के चलते निफ्टी 5400 के पार चला जाए।

मेरी राय में बाजार जब गिरने को होता है, उल्टी दिशा पकड़ता है, उससे पहले बी ग्रुप के शेयरों में वोल्यूम या कारोबार की मात्रा घट जाती है। लेकिन अभी तो ऐसा नहीं दिख रहा। बल्कि इनमें वोल्यूम इतना ज्यादा है कि लगता है जैसे बाजार में तेजी की लहर दौड़ रही हो। इसलिए तेजड़िये जो कर रहे हैं, वह जायज है। फिर, ऐसा एक भी कारक नहीं है जो बाजार के माहौल को पलट सके। ब्याज दरें कोई असली मसला ही नहीं हैं। दरअसल, मैं इस बात को दोहरा रहा हूं कि ब्याज दर जितनी बढ़ेगी, बाजार में उतनी ही तेजी आएगी और इसका आधार यह होगा कि मौद्रिक उपायों के बाद भी अर्थव्यवस्था काबू में नहीं आ रही है। कच्चे तेल को लेकर भी ऐसा होता है। तेल की कीमतें जितनी बढ़ती हैं, बाजार उतना ही ऊपर जाता है।

दुनिया ने बुद्धिमानी तो बहुत हासिल कर ली, लेकिन विवेक नहीं। हम आज परमाणु अस्त्रों में भीमकाय हो गए हैं, लेकिन नैतिक मामलों में बालक ही बने हुए हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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