मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमसीएक्स) पर सोमवार, 24 मई से जस्ता के लघु मिनी कांट्रैक्ट या लघु अनुबंध में वायदा कारोबार शुरू हो गया। एमसीएक्स ने इसके लिए जून व जुलाई के अनुबंध उपलब्ध कराए हैं और आगे समय के अनुसार दूसरे अनुबंध भी लाए जाएंगे। जस्ता के लघु अनुबंध की खासियत यह है कि इसकी लॉट साइज 1 टन की है जबकि एक्सचेंज पर चालू जस्ता के सामान्य अनुबंध का लॉट साइज 5 टन है और उसमें रोजाना औसतन 1,40,000 टन के सौदे हो रहे हैं। लघु अनुबंध की बाकी विशेषताएं जस्ता के सामान्य अनुबंध की तरह ही हैं।
लघु व मध्यम उद्योग (एसएमई) क्षेत्र इकाइयों की बढ़ती मांग को देखते हुए एक्सचेंज पर जस्ता का यह अनुबंध उपलब्ध कराया गया है ताकि वे जस्ते के भावों में भारी उतार-चढ़ाव के सामने हेज कर सकें। एमसीएक्स के उप प्रबंध निदेशक पी. के. सिंघल के अनुसार जस्ते का यह लघु अनुबंध एसएमई, खासकर गैल्वेनाइजिंग, डाई कास्टिंग और ब्रास इंडस्ट्री के लिए जोखिम प्रबंधन का एक प्रभावी साधन होगा। इन उद्योगों में जस्ते की खपत अधिक है।
गैल्वेनाइजिंग इंडस्ट्री में जस्ते की अधिक मांग रहती है क्योंकि जस्ते का इस्तेमाल स्टील को संक्षारण और जंग से बचाने में कोटिंग के रूप में किया जाता है। स्टील इंडस्ट्री में तेजी के मद्देनजर साल 2001 से 2006 के दौरान जस्ते की कीमतों में भारी वृद्धि दर्ज हुई थी। लेकिन बाद में वैश्विक मंदी के चलते जस्ते के भाव नीचे आ गए। कमोडिटी बाजार में अस्थिरता और स्टील की कीमतों में काफी बढ़त को देखते हुए पिछले कुछ सालों में जस्ते के भावों में काफी घटबढ़ हुई है। नतीजतन जस्ते के इस्तेमाल करनेवालों और उत्पादकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
विश्व स्तर पर अलौह धातु के बाजारों में अनिश्चितता बढऩे से हेजिंग एसएमई क्षेत्र के लिए भावों के जोखिम प्रबंधन का अच्छा विकल्प साबित हुआ है। इन उद्यमों के लिए जस्ते का 1 टन का लॉट साइज अधिक आकर्षक हो सकता है और उनके बड़े कारोबार के लिए 5 टन लॉट साइज का अनुबंध भी लाभदायक हो सकता है। बॉम्बे मेटल एक्सचेंज के प्रेसिडेंट सुरेंद्र मरडिया ने एमसीएक्स पर शुरू हुए जस्ते के लघु अनुबंध का स्वागत करते हुए कहा कि इससे एसएमई क्षेत्र की इकाइयों को अपनी जरूरत के अनुसार छोटे व बड़े लॉट साइज में सौदा करने का मौका मिलेगा और वे इनमें हेजिंग भी कर सकते हैं।