अफवाहों की फिरकी नहीं, चक्रवात

बाजार के हालात सचमुच खराब हों या न हों, लेकिन भाई लोगों ने अफवाहों का चक्रवात चलाकर पूरे माहौल को बहुत भयावह बना दिया है। वे बता रहे हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 3 अक्टूबर 2008 को क्या आंकड़े पेश किए थे और अब उसी ने 3 अक्टूबर 2011 को क्या आंकड़े पेश किए हैं। संयोग से दोनों आंकड़े कमोबेश एक जैसे हैं और लेहमान संकट के समय आए ध्वंस की याद दिला रहे हैं। एक और बात बाजार में जोरदार तरीके से फैलाई जा रही है कि सोने व डाउ जोन्स सूचकांक में एकबारगी 3000 अंक की गिरावट आ सकती है।

खैर, इतना तो अब पक्का हो चला है कि इस समय बाजार में कोई तेजड़िया नहीं बचा है। मूडीज द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को डाउनग्रेड करने से भारत सरकार तक परेशान हो गई है। लेकिन मूडीज की बत्ती देर से जली है। एसबीआई तो राइट्स इश्यू लाने की घोषणा के समय से ही विवाद में है। उस समय यह 3500 रुपए पर चल रहा था। तब हमने कहा था कि यह इतने भाव के काबिल नहीं है और इसे गिरकर 2000 रुपए तक आ जाना चाहिए। आखिरकार वैसा ही हुआ।

हालांकि कम से कम आधा दर्जन एफआईआई ब्रोकर एसबीआई को डाउनग्रेड कर चुके हैं। फिर भी एफआईआई सेगमेंट में इसे खरीदनेवाले बने हुए हैं। एसबीआई उन शेयरों में से एक है जिन्हें फिजिकल सेटलमेंट को अपनाने में सबसे बड़े खतरे के रूप में पेश किया जा रहा है। रिजर्व बैंक किसी कंपनी में निवेश की निर्धारित सीमा के बाद भी एफआईआई को डेरिवेटिव सेगमेंट में फ्यूचर्स व ऑप्शंस में शेयर खरीदने की इजाजत देता है। मुझे लगता है कि फिजिकल सेटलमेंट को शुरू कर देना चाहिए भले ही इसके लिए एफआईआई को फ्यूचर्स व ऑप्शंस खरीदने से बैन करना पड़े।

निफ्टी आज दोपहर करीब साढ़े बारह बजे तक बढ़ते-बढ़ते 4827.80 तक पहुंच गया। लेकिन फिर गिरने लगा तो कल से 0.44 फीसदी नीचे 4751.30 पर बंद हुआ। कल, गुरुवार को दशहरे के मौके पर बाजार बंद रहेगा। जैसा कि मैं आपको बता चुका हूं कि बाजार में इस समय कोई भी यह सोचने की हालत में नहीं है कि बाजार यहां से कहां तक बढ़ सकता है और नए करार करने से पहले उसके सुधरने का इंतजार कर लिया जाए। फिर भी मेरा मानना है कि हालात बढ़त के पक्ष में हैं क्योंकि छोटी-सी सकारात्मक बात भी इस ओवरसोल्ड बाजार को असाधारण तेजी दे सकती है। हम कल देख चुके हैं कि कैसे डाउ जोन्स गिरकर 10,500 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे चला गया। लेकिन दिन के न्यूनतम स्तर से फिर 400 अंक सुधर भी गया। ऐसा हर बाजार में होना है।

मेरी राय में निफ्टी में 4930 और उसके बाद 4984 पर प्रतिरोध का मजबूत स्तर है। फिर भी मुझे यकीन है कि बाजार इस स्तरों को भेदकर ऊपर की दिशा में कूच करेगा। इसके विपरीत सोना और चांदी ऊंचे स्तर को बनाए रखने में कामयाब नहीं हैं। इन्हें बेचने की मेरी सलाह अब भी जस की तस है। मुझे लगता है कि दीवाली से पहले सोने और चांदी में हम एक और तीखी गिरावट देख सकते हैं।

तर्क में डांट-डपट और चीख-चिल्लाहट इस बात की स्वीकारोक्ति है कि हम बौद्धिक रूप से कितने नपुंसक हो गए हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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