रिजर्व बैंक ठान ही चुका है कि वह विदेशी मुद्रा बाजार में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा तो स्वाभाविक रूप से रुपए का बेरोकटोक गिरना जारी है। डॉलर के सापेक्ष अब तक वह 56 रुपए के करीब पहुंच चुका है। हो सकता है कि कल तक एकदम 56 भी हो जाए। तब रुपए को हीरो बनाकर नई फिल्म बनेगी जिसका शीर्षक होगा – अब तक छप्पन।
खैर, तीखी गिरावट ने हमें इस समय एकदम तलहटी के करीब पहुंचा दिया है। हालांकि अभी तक हम तलहटी पर पहुंचे नहीं है। मेरे सूत्र का कहना है कि एक गोल्ड फंड अगले दो महीनों के दौरान भारतीय बाजार में तीन अरब डॉलर लगाने की तैयारी में है। मेरा मानना है कि बाजार पूंजीकरण में काफी कुछ गवां चुका हमारा इक्विटी बाजार इस तीन अरब डॉलर की खरीद से निफ्टी को 5400 के पार पहुंचा सकता है।
तीन अरब डॉलर की खरीद बाजार के लिए टॉनिक का काम करेगी और शॉर्ट कवरिंग उसके ताकतवर बनने का मुख्य आधार बन जाएगी। एक अन्य सूत्र का तो यहां तक कहना है कि रुपए को इस कदर इसलिए गिरने दिया गया ताकि राजनेताओं को अपना काला धन देश में वापस लाने का मौका मिल जाए और यह धन लाने के लिए इक्विटी से बेहतर दूसरा कोई माध्यम हो नहीं सकता। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) और लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स काले धन को सफेद बनाने के खुले दरवाजे हैं।
इस तरह 15 फीसदी टैक्स भी देना पड़ा तो वो रुपए में आई 25 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के आगे कहीं नहीं ठहरता क्योंकि उनके उन्हें हर डॉलर पर 25 फीसदी रुपया ज्यादा मिल रहा है। इस पर 15 फीसदी टैक्स देकर भी उनका डॉलर का मूलधन 6.25 फीसदी बढ़ जाएगा। दरअसल, पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने संसद में बयान दिया है कि विदेश में जमा ज्यादातर काला धन या तो देश में वापस आ चुका है या आ रहा है। खाड़ी के देशों से ज्यादा धन का आना और रुपए में आई गिरावट उनके दावे की पुष्टि करते हैं।
रुपया हाल-फिलहाल इस कदर ओवरसोल्ड हो चुका है कि यह 56 तक भी जा सकता है और 58 तक भी। लेकिन यह कितना भी गिर जाए, शॉर्ट कवरिंग इसे अगले तीन महीनॆ में तेजी से वापस 48 रुपए पर ले आएगी। रुपया बढ़ेगा तो सरकार का सीधा-सा तर्क होगा कि देश में डॉलर की आवक बढ़ गई है। कोई यह नहीं बतानेवाला कि ये डॉलर आखिर आए कहां से।
इस सारे घटनाक्रम के बीच बाजार का दृश्य भयंकर डरावना हो चुका है। मूल्यांकन निफ्टी के 2700 या इससे भी नीचे पहुंचने जैसा हो गया है। यहां से आप निफ्टी को 4200 तक भी गिरा ले गए तो कोई तकलीफ नहीं होती क्योंकि लाश बन चुके शरीर को कोई दर्द नहीं होता और भारतीय निवेशक इस समय एकदम मृतप्राय हो चुके हैं। फिलहाल आज निफ्टी 4768.65 तक उठने के बाद कल से 0.24 फीसदी घटकर 4752.05 पर बंद हुआ है।
निवेशकों को मेरी सलाह है कि वे कुछ और दिन तक बाजार का ड्रामा देखते रहें। अगर ऐसा न कर सकें और ट्रेड करना जरूरी हो तो दिमाग की सारी धूल धो-पोंछ डालें और नए विचारों से उसे तरोताज़ा कर लें। बस बाजार की वापसी और इस वापसी की रफ्तार के बारे में सोचें।
रुपए और बाजार का क्या रिश्ता है, यह हम आपको तभी बता चुके हैं जब रुपया डॉलर के सापेक्ष 48 रुपए पर था। बगैर नीति-नियामकों की मर्जी के रुपया इतना नीचे गिर ही नहीं सकता था। इसलिए बाजार की वापसी का सीधा रिश्ता रुपए के तलहटी पर पहुंचने के साथ जुड़ा हुआ है। अब, जबकि हम लगभग तलहटी पर पहुंच चुके हैं तब अगर आप लांग सौदे नहीं कर सकते तो कम से कम शॉर्ट सेलिंग से बचें। आप देख चुके हैं कि जब भी आप शॉर्ट सौदों में फंसे हैं तो हर महीने आपसे एकमुश्त कीमत वसूल कर ली जाती है। अंतिम फैसला आपको करना है। हालांकि मैं, गिरावट के इस आलम में भी कतई मंदी की धारणा नहीं पालूंगा।
कोई बच्चा वयस्क तब बनता है कि जब उसे अहसास होता है कि उसे सही होने के अधिकार के साथ-साथ गलत होने का भी हक है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)