सच कहूं तो लोगों से आशा ही छोड़ दी है कि हमारी सरकार शेयर बाजार के लिए कुछ कर सकती है। इसलिए ज्यादातर निवेशक भारतीय पूंजी बाजार से निकल चुके हैं और पूरा मैदान विदेशी निवेशकों के लिए खाली छोड़ दिया है। बदला सिस्टम खत्म करने के बाद 2001 में ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की जरूरत जताई थी। लेकिन दस साल बीत चुके हैं। सेबी फैसला भी कर चुकी है।औरऔर भी

बाजार उम्मीद के मुताबिक कमजोरी के साथ 5000 के नीचे खुला। लेकिन अंत तक सुधरकर 5017.20 पर बंद हुआ, शुक्रवार से 0.45 फीसदी गिरावट के साथ। अमेरिकी बाजार आज बंद हैं। इसलिए कल भारतीय बाजार के उस्तादों के लिए ‘खुला खेल फरुखाबादी वाला दिन’ है और वे निश्चित रूप से इस आजादी का भरपूर फायदा भी उठाएंगे। वैसे, मुझे लगता है कि पूरा सितंबर महीना ही जबरदस्त उतार-चढ़ाव से भरा रहेगा क्योंकि इस दौरान कई बड़ी घटनाएंऔरऔर भी

गाढ़ी कमाई के पैसे पर कोई अय्याशी नहीं करता। आसानी से मिले पैसे ही उड़ाए जाते हैं। मान लीजिए किसी ने दस साल में मेहनत से 50 लाख रुपए जुटाए हैं तो वह इसका बहुत हुआ तो 10 फीसदी हिस्सा ही कार, विदेश यात्रा और मौजमस्ती पर खर्च करेगा। लेकिन अगर किसी ने एक झटके में इतनी रकम बनाई है तो 100 फीसदी रकम वह महंगी कार, विदेश यात्रा, बिजनेस क्लास में सफर और फाइव स्टार होटलोंऔरऔर भी