मैं ये दावा तो नहीं करता कि मैं सब कुछ समझता हूं। लेकिन इतना तय है कि मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ होनेवाले का दावा करनेवाले तमाम एनालिस्टों से बेहतर समझता हूं। जब एफआईआई की खरीद के चलते बाजार में धन का प्रवाह बढ़ रहा हो, तब खरीद की कॉल देने के लिए किसी अतिरिक्त बुद्धि की जरूरत नहीं होती। इसका मतलब तब हात, जब आपने खरीद की कॉल तब दी होती, जब सेंसेक्स 8000, 15,000 या यहां तक कि 18,000 अंक पर था। लेकिन तब तो इन ‘बुद्धिमान’ एनालिस्टों ने बाजार के बारे में नकारात्मक रवैया बना रखा था। तब केवल सीएनआई रिसर्च थी जो तेजी की धारणा का परचम उठाए हुए थी।
हमने कभी भी किसी निवेशक का सिर झुकने नहीं दिया है भले ही वह इसका श्रेय दे या न दे। शर्त बस इतनी है कि उसे दीर्घकालिक निवेशक होना चाहिए। जो लोग ऐसा मानते हैं कि शेयर बाजार के ऑपरेटरों ने बीमा की दुकान खोल रखी है जहां से आप मूलधन और कमाई दोनों साथ बटोर कर ले जा सकते हैं, वे लोग भयंकर भ्रम में जी रहे हैं, मूर्खों के स्वर्ग में रह रहे हैं।
इक्विटी बाजार एक ऐसी जगह है जहां हर दिन तमाम कारकों के चलते उतार-चढ़ाव आते हैं। सूचकांक से लेकर शेयरों के भाव में ऊंच-नीच होती है। हमने धामपुर स्पेशियलटी शुगर्स को 33 से गिरकर 24 और फिर बढ़कर 33 रुपए तक जाते हुए देखा है औप सभी लोग मजे में आजाद मैदान को अर्जुन के लिए अकेला छोड़कर बाहर निकल गए। यही बात हमने क्विंटेग्रा सोल्यूशंस में देखी है। बैलेंस शीट के मुताबिक लक्ष्य बहुत बड़ा दिखता है और इसके चालकों ने आपके लिए चक्रव्यूह बना रखा है और आप सभी अभिमन्यु बन गए। कल से यह स्टॉक बियावान में जा रहा है।
बाजार मुझे क्यों बुरा दिख रहा है, इसकी वजहें मैं कल इनफोसिस के दूसरी तिमाही के नतीजे देखने से पहले नहीं बताना चाहता। लेकिन इतना पक्का है कि इनफोसिस के सारे सकारात्मक पक्षों का असर शेयर में शामिल किया जा चुका है। हां, नतीजे बुरे आने पर साफ-साफ बुरा असर पड़ सकता है। बाजार बड़ा निर्मम है और उसे किसी से सहानुभूति नहीं होती। आप समय रहते नहीं निकल सके तो मार तो आपको सहनी ही पड़ती है।
किसी ने बाजार में 770 करोड़ रुपए के शेयर बेच डाले हैं। इसमें एक नहीं, कई शेयर शामिल हैं। लेकिन मैं जानने में लगा हूं कि उसने ऐसा क्यों किया? अगर मेरा अंदाजा सही है तो मुझे पूरा यकीन है कि यह सिलसिला चलता रहेगा और अचानक एक दिन आप पाएंगे कि बाजार से तरलता ही सूख गई है। पता चलेगा कि यह सारी तरलता तो कोल इंडिया के आईपीओ में चली गई। इधर तमाम सफेदपोश एनालिस्ट बिजनेस चैनलों पर आनेवाले हैं जो आपको समझाएंगे कि बाजार में किस तरह 2000 से 4000 अंकों की गिरावट आ सकती है। लेकिन ‘ब्रेक के बाद’ से पहले ऐसा नहीं होगा। कम से कम आज तो उनके पास ब्रेक लेने का समय नहीं है। देखते हैं कल उनके लिए क्या लेकर आनेवाला है।
बाजार में गिरावट जितनी भी आती जाए, आपको अपना निवेश ऐसी चुनिंदा स्मॉल कंपनियों में बढ़ाना चाहिए जिनका प्रबंधन अच्छा हो, उसका साबित ट्रैक रिकॉर्ड हो और स्टॉक 5 के पी/ई अनुपात के आसपास ट्रेड हो रहा हो। अगर आप ऐसा करते हैं तो कोई भी आपको लखपति या करोड़पति बनने से नहीं रोक सकता।
जिंदगी जीने के केवल दो तरीके हैं। एक यह है कि हर चीज चमत्कार जैसी है। दूसरा यह कि कुछ भी चमत्कार जैसा नहीं है, सब रूटीन है। इनमें से आप जिसे चाहें, चुन लें।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
P/E ratio और EPS मे से किसको वरीयता देनी चाहिये ?
P/E IS THE DECIDING FACTOR IN VALUATION OF SCRIPS AS THIS ALWAYS FACTORS EPS .
प्रभात जी, असल में पी/ई और ईपीएस परस्पर संबद्ध हैं। जैसे किसी शेयर का ईपीएस अगर दो रुपए हैं और उसके शेयर का भाव 20 रुपए है तो उसका पी/ई अनुपात 20/2 यानी 10 हो गया। अब इसी शेयर का भाव अगर 40 हो गया तो पी/ई अनुपात 40/2 यानी 20 हो जाएगा। कोई शेयर कितने पी/ई अनुपात पर चल रहा है, इसी से उसके सस्ते या महंगे होने का पता चलता है। लेकिन निवेश के लिए पी/ई के अलावा भी और कई मानक हैं जिन पर शेयर को कसना पड़ता है।
पी/ई के अलावा भी और कई मानक हैं जिन पर शेयर को कसना पड़ता है
इन पर भी प्रकाश डालें …