निफ्टी में 4900 का स्तर अब और भी नाजुक बन गया है। कारण, लगातार तीन दिन तक 4900 का स्तर तोड़ने में नाकाम रहने पर बहुत सारे मंदडियों ने कल ही अपनी शॉर्ट पोजिशन काट डाली। ऐसा हमेशा होता है। मंदड़िए जब एक खास स्तर तोड़ने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें अपनी शॉर्ट पोजिशन बराबर करनी पड़ती है। इसी के साथ बढ़त की तरफ झुकाव कफी बढ़ा हुआ है जो साफ दर्शाता है कि बाजार के ऊपर की तरफ बढ़ने की पर्याप्त गुंजाइश है।
आज बाजार ने सुबह दस बजे के आसपास गोता लगाया। लेकिन दोपहर एक बजते-बजते ऊपर की दिशा पकड़ ली। बाजार और तमाम स्टॉक्स मुख्यतः शॉर्ट कवरिंग के चलते बढ़े हैं। सेंसेक्स कुल मिलाकर पूरे एक फीसदी बढ़कर 16,876.54 अंक पर बंद हुआ तो निफ्टी 1.53 फीसदी की बढ़त लेकर 5089.15 अंक पर। नोट करने की बात यह है कि मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा के ठीक पहले बैंक निफ्टी में सारे सूचकांकों के बीच सबसे ज्यादा 2.50 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई और यह 9708.80 पर बंद हुआ। शायद आपको याद होगा कि हमने इसी कॉलम में सवा दो हफ्ते पहले 29 अगस्त को कहा था, “निफ्टी फिर से 9500 या यहां तक कि 9800 तक जा सकता है।”
फिलहाल खास-ओ-आम में जिस तरह की सहमति बनी हुई है, उसमें तो यही लगता है कि रिजर्व बैंक कल ब्याज दर 25 आधार अंक बढ़ा देगा। 25 आधार अंक का आसान मतलब 0.25 फीसदी होता है। लेकिन अगर हम कहें कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा तो उसका सही मतलब होता है कि रेपो दर को 8 फीसदी से बढ़ाकर 8.02 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.0175 फीसदी कर देगा। जबकि हम कहना चाहते हैं कि रेपो दर को 8 से बढ़ाकर 8.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 7 से बढ़ाकर 7.25 फीसदी किया जा सकता है। इसलिए फीसदी के बजाय इस बढ़त को आधार अंक या बेसिस प्वॉइंट में बयां करना ज्यादा सही होता है।
खैर मुद्दे पर आए तो ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद हो सकता है कि रिजर्व बैंक का रवैया इस बार उतना आक्रामक न हो। मुझे तो लगता है कि रिजर्व बैंक इस बार ब्याज दर बढ़ाने के बजाय एसएलआर में कमी कर देगा क्योंकि सरकार चाहती है कि ओएनजीसी का इश्यू कायदे से निपट जाए और इसके लिए बाजार में चहक का होना जरूरी है। अगर पूरा का पूरा 100 फीसदी इश्यू एफआईआई व डीआईआई से सब्सक्राइब कराना है तब तो कोई समस्या ही नहीं है।
रुपया करीब दो साल बाद डॉलर के सापेक्ष कमजोर होता जा रहा है। अब तक वह 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है, जबकि इसी दरम्यान चीनी मुद्रा युआन 5 फीसदी मजबूत हुई है। रुपए का इस कदर फिसलना रिजर्व बैंक की सुचिंतित योजना का हिस्सा लगता है क्योंकि उसने बाजार में डॉलर बेचकर रुपए को संभाला नहीं। अब तो विदेश में रखे काले धन को माफी देने की खबर भी आ रही है। भारत में 1991 से ही विदेशी धन को खींचने की ऐसी ही नीति चलाई जा रही है। लेहमान संकट के बाद रुपया डॉलर के सापेक्ष 51 रुपए तक चला गया था। उसके बाद इस कदर विदेशी पूंजी आने लगी कि रुपया दो सालों के अंदर 43 रुपए पर जा पहुंचा। अब रुपया बहुत ही कम समय में 48 रुपए तक चला गया है। यह इस बात का संकेत है कि नया विदेशी पूंजी प्रवाह आनेवाला है और ऐसा एक-दो महीने में शुरू हो जाना चाहिए।
जब यूरो बांडों पर ऋणात्मक रिटर्न मिल रहा हो तब रुपए के सापेक्ष विदेशी मुद्रा डॉलर में 10 फीसदी की मजबूती विदेशी निवेशकों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए काफी है। इसके अलावा यह काले धन को लाने का चोर दरवाजा भी हो सकता है। अगर सरकार इस पर टैक्स लगाने की बात कर रही तो इसके भरपाई रुपए की विनिमय दर गिरने से हो जाएगी। रुपया पहले 42 पर था, अब 48 पर है तो 6 रुपए टैक्स में दे देने से विदेश से धन लानेवाले पर क्या फर्क पड़ेगा?
इन सारी वजहों से मुझे लगता है कि बाजार में अब गिरावट सीमित रहेगी। दूसरी तरफ तेजी का झोंका बड़ी तेजी से आएगा क्योंकि खोने और पाने या रिस्क व रिवॉर्ड का पलड़ा अब तेजड़ियों की तरफ झुका हुआ है और मंदड़ियों के लिए तो हमेशा अनंत ही अंत है।
आप खुद को कैसे यकीन दिलाते हैं, यह आपका काम है। खुद ही देख लीजिए कि कल चीन ने कह दिया कि वह यूरोप के बांड खरीद लेगा तो बाजार खटाक से 300 अंक उठ गया। ऐसा बारंबार होगा। इसलिए सोच-विचार कर सारी गणना भिड़ाकर निवेश का फैसला कीजिए।
शिक्षित व्यक्ति की निशानी यह है कि वह किसी विचार को बिना स्वीकार किए भी महत्व दे सकता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)