चला अफवाहों का चक्कर-घनचक्कर

बाजार में आज जमकर अफवाह चली कि भारत के वॉरेन बफेट माने जानेवाले प्रमुख निवेशक राकेश झुनझुनवाला (आरजे) चांदी की ट्रेडिंग में बुरी तरह फंस गए हैं और इसमें हुए नुकसान की भरपाई के लिए तमाम कंपनियों में अपना निवेश निकाल रहे हैं। मेरी समझ से यह मंदडियों द्वारा फैलाई गई अफवाह है। हालांकि यह सच है कि आरजे ने डेल्टा कॉर्प और वीआईपी इंडस्ट्रीज जैसे कुछ स्टॉक्स में अपनी होल्डिंग घटाई है क्योंकि अभी इनका मूल्यांकन काफी बढ़ा-चढ़ा है। इसलिए इनमें मुनाफावसूली लाजिमी थी।

आरजे ने वीआईपी इंडस्ट्रीज को 95 रुपए पर खरीदा था और वे अब इसे 600 रुपए पर भी बेच रहे हैं तो जबरदस्त फायदे में हैं। लेकिन गलती उन निवेशकों की है जो फंडामेंटल कमजोरी और निवेश लायक न होने पर भी इस स्टॉक को काफी महंगे में खरीदा। जब यह 1050 रुपए पर था, तभी से मैं आपसे कहता रहा हूं कि इससे निकल जाइए क्योंकि यह 500 रुपए तक चला जाएगा। और, ऐसा हो चुका है।

अगर यह स्टॉक खुदा न खास्ता फिर से बढ़ने लगे तब भी धड़ाम से गिर जाएगा। आज भी यह 15.25 फीसदी गिरकर नीचे में 109.20 तक चला गया। अब इसमें बने रहने का कोई तुक नहीं है। वीआईपी पर स्पष्ट रूप से गिरते रुपए की मार लगी है और यह तीसरी तिमाही में लाभ कमा पाती है तो वाकई बड़े अचरज की बात होगी। दूसरा मसला कॉरपोरेट गवर्नेंस का है। साल 2008 में जब समूह की ही कंपनी ने वीआईपी में 5.56 फीसदी इक्विटी बाजार के बाहर हुए सौदे में खरीदी तो इसे पब्लिक की श्रेणी में दिखाया गया। यह मेरे लिहाज से बहुत गंभीर मामला है।

आपने देखा ही है कि कैसे अच्छा-खासा कामकाज कर रही कंपनी विंडसर मशींस का शेयर 16 रुपए पर आ चुका है। असल में कॉरपोरेट गवर्नेंस की समस्या अच्छे निवेशकों को कंपनी से दूर कर देती है। इस समय सिम्फनी निवेश का आकर्षक मौका पेश कर रहा है। जब भी यह गिरकर 1200 रुपए तक आता है तो पलटकर फिर वापस 1450 रुपए पर पहुंच जाता है और इस तरह आपको 20 फीसदी रिटर्न दे जाता है।

राकेश झुनझुनवाला भारत के सबसे सफल निवेशक हैं। वे बाजार को अपने हिसाब से नचाने का दमखम रखते हैं। हो सकता है कि मंदड़ियों को फंसाने के लिए वे खुद ही शॉर्ट सेल कर रहे हों। इसके बाद वही शेयर वे दोबारा वापस खरीद सकते हैं और उनमें नया मूल्य डाल सकते हैं। वे पहले भी ऐसा करने के लिए जाने जाते रहे हैं। इसलिए अफवाहों के दम पर शॉर्ट सेलिंग करना निश्चित रूप से आत्मघाती कदम होगा।

खैर, इतना तय है कि बाजार में आई गिरावट का आरजे के मसले से कोई लेना-देना नहीं है। अगर यह सचमुच की गिरावट है तो इसे मूडीज द्वारा भारत का डाउनग्रेड करने की पूर्व-तैयारी माना जा सकता है। इस बाबत मैंने आपको दीवाली पर ही बता दिया था कि अगली गिरावट आई तो इसका कारण भारत का डाउनग्रेड ही होगा। इसके साथ ही मुझे बेहद मजबूत संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिकी बाजार में 6 से 8 फीसदी रैली आ सकती है जो खुद-ब-खुद भारत में तेजी का रंग भर देगी।

इसलिए इस मुकाम पर शॉर्ट सौदे करना काफी जोखिम भरा है। लेकिन मंदड़िए हमेशा बाजार के तलहटी पर पहुंचने पर शॉर्ट करते हैं और तेजड़िए बाजार के ऊपरी चक्र पर लांग हो जाया करते हैं। इससे न तो मंदड़ियों और न ही तेजड़ियों का ही बड़े पैमाने पर फायदा हो पाता है। अभी के मुश्किल वक्त में बाजार को मात देने का केवल एक तरीका है कि हर गिरावट पर बस लपकते रहा जाए। इसमें जब भी बाजार उठेगा या शॉर्ट कवरिंग होगी तो निवेशक को फायदा मिलेगा।

सोमवार को बाजार में वोल्यूम कम था। मंगलवार को बाजार भले ही गिरा हो, लेकिन वोल्यूम बढ़ गया। आज वोल्यूम ठीकठाक रहा। निफ्टी में 5000 के आसपास बाजार ने खुद को जमाया और 4900 के ऊपर बटोरने का काम हुआ। बंद हुआ है 0.75 फीसदी की गिरावट के साथ 5030.45 अंक पर। लगता यही है कि बाजार में अभी शॉर्ट सौदे ज्यादा हैं। इसलिए मैं तो एसबीआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), टाटा मोटर्स व जेएसडब्ल्यू स्टील जैसे लार्जकैप स्टॉक्स पर दांव लगाऊंगा क्योंकि इन्हें एक या दो दिन में 20 से 30 फीसदी नहीं तोड़ा जा सकता जैसा हम केएसके एनर्जी वेंचर्स, वीआईपी इंडस्ट्रीज व सिंटेक्स इंडस्ट्रीज वगैरह में होता हुआ देख चुके हैं।

आंखें खुली रखकर हम जो सपना देखते हैं, वह हमारी आशा है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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