घंटे-घंटे के चार्ट पर चढ़ाते गए छज्जा

अमेरिका में बेरोज़गारी की दर तीन सालों के न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है। डाउ जोन्स मई 2008 के बाद के सर्वोच्च स्तर पर आ चुका है। वह शुक्रवार को 1.2 फीसदी की बढ़त लेकर 12,862.23 पर बंद हुआ है। लेकिन अब वहां करेक्शन आना लाजिमी है। देश में निफ्टी बड़े शान से 5300 का स्तर तोड़कर ऊपर आ चुका है। लगातार तीन दिन से 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) से ऊपर टिका है। अरसे से परेशान तेजड़िए बड़ा सुकून महसूस कर रहे हैं। अक्टूबर 2010 में निफ्टी 5399 तक गया था। इसलिए बहुत संभावना इस बात की है कि निफ्टी पहले तो 5400 को पार करेगा और फिर 5480 इसका अगला पड़ाव होगा।

फिर भी हमारा मानना है कि यह रैली इतनी एकतरफा रही है कि इसमें बहुतों को शिरकत करने का मौका नहीं मिल पाया। शुक्रवार को निफ्टी का बंद स्तर साप्ताहिक रूप से सर्वोत्तम है। लेकिन लगता यही है कि टेक्निकल एनालिसिस के घंटे-घंटे के चार्टों को आधार बनाकर बाजार को ऊंचा-ऊंचा लेने जाने की हरकत की गई है। हम दृढ़ मान्यता है कि चार्टों के दम पर बाजार को इस तरह लंबे समय तक तोड़ना-मरोड़ना संभव नहीं है। यह रैली बहुत चली तो बाजार को ज्यादा से ज्यादा 150 अंक और ऊपर ले जाएगी। महज इतना पाने के लिए हम तो इस रैली में हाथ डालना मुनासिब नहीं समझते।

पिछले सेटलमेंट में 10 फीसदी बढ़ने, 10 फीसदी घटने और फिर ब्रेक आउट के पैटर्न ने 4400 तक का रीतापन पैदा कर लिया है। इसलिए इस बार गिरावट आई तो उसकी मार बड़ी तगड़ी होगी। एक एफआईआई ब्रोकरेज ने ताज़ा-ताज़ा नोट लिख भेजा है कि तेजी का दौर चलता रहेगा। इसने हमें चिंता में डाल दिया और पुराने अनुभवों की रौशनी में देखने पर साफ हो जाता है कि बाजार में करेक्शन अब सन्निकट है।

सेंसेक्स जब 15,500 पर था, तब इसी ब्रोकरेज हाउस ने कहा था कि बाजार 13,000 तक चला जाएगा और डॉलर के सापेक्ष रुपया 58 तक पहुंच जाएगा। दोनों ही बातें नहीं हुईं। बाजार में विदेशी निवेशकों ने 300 करोड़ डॉलर लगा दिए और सेंसेक्स 17,600 को पार कर गया। यह अगस्त 2009 के बाद की सबसे अच्छी रैली है। दिसंबर तक यही ब्रोकर बंधु डाउनग्रेडों की झड़ी लगाकर मूल्यांकन का शिगूफा उछाल रहे थे और दो महीने बाद फरवरी में यही लोग उन्हीं स्टॉक्स को 30 फीसदी बढ़े हुए भावों पर खरीद रहे हैं।

कोई गरदन पकड़कर पूछनेवाला नहीं है तो औरों को छकाने के लिए मनचाहे अनुमान फेंकते रहते हैं। अब ये फिरंगी ब्रोकर सेंसेक्स 17,600 और रुपए के 48.6 तक मजबूत हो जाने के बाद खरीदने का संकेत दे रहे हैं, जबकि बाजार की दिशा पलटने ही वाली है। रिलायंस इंडस्ट्रीज में बायबैक की शुरुआत 845 रुपए पर हुई है। इसमें भी ऊपर जाने की कम गुंजाइश करेक्शन के बहुत जल्दी आने का स्पष्ट संकेत देती है।

ट्रेडरों को हमारी सलाह है कि वे फिलहाल बेहद सावधान रहें। बेचें तो छोटे-छोटे स्टॉप लॉस लगाकर और उन्हीं स्टॉक्स को खरीदें जिनमें कोई ट्रिगर हो। आपको इस मुकाम पर सही व ईमानदार सलाह देनेवालों को पकड़ने की जरूरत है। आंख मूंदकर ट्रेडिंग करने से बचें। हर तरफ से टिप्स उड़ी चली जा रही हैं। उनके चक्कर में फंसना बेहद खतरनाक है। जहां तक संभव हो, सभी शॉर्ट सौदों को कुछ लांग सौदों से हेज करके चलें।

मूलभूत आर्थिक कारकों में कोई तब्दीली नहीं आई है कि बाजार इतना चढ़ जाता। विधानसभा चुनावों के नतीजे और बजट बिकवाली का संदेशा ला सकते हैं। सीआरआर में कमी से कोई फर्क नहीं पड़ा है। ब्याज दरों में कमी का इंतज़ार अब भी जारी है। सकल मुद्रास्फीति की तरह खाद्य मुद्रास्फीति का आंकड़ा भी अब सप्ताह नहीं, महीने में एक बार आएगा। यानी, बाजार केवल एक बार इसे संज्ञान में ले पाएगा। राजकोषीय घाटा अब भी गंभीर चिंता का मसला बना हुआ है। इसलिए सावधान! झूठी चमक व चाल के फेर में न पड़ें।

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