भारत ने विश्व कप जीतकर एक देश के रूप में खुद को दुनिया में सबसे ऊपर साबित कर दिया। देश में ऐसा जबरदस्त जोश व जुनून छा गया कि पहली बार फाइनल मैच पर लगा सट्टा 20,000 करोड़ रुपए से भी ऊपर चला गया और मैच के टिकट ब्लैक में 1.75 लाख रुपए में बिके। अगर भारत न जीतता तो देश भर में भयंकर मायूसी छा जाती। लेकिन इस जीत का दुखद पहलू यह है कि हम 1983 में देश को पहली बार यह गौरव दिलानेवाली टीम के लोगों को अब भी नजरअंदाज कर रहे हैं।
इस बार तो हम कप की दौड़ में सबसे अगली कतार में थे। लेकिन 28 साल पहले ऐसा नहीं था। इस बार हम जीते तो हर तरफ से पैसों की बारिस शुरू हो गई। टीम इंडिया का हर खिलाड़ी रातोंरात करोड़पति बन गया। लेकिन जिन लोगों ने हमें पहली बार इस सफलता का स्वाद चखाया था, उनकी उपेक्षा करना अक्षम्य है। किसी व्यक्तिगत रंजिश के आधार पर महान खिलाड़ियों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
हमारे राजनेताओं ने अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए इस मौके को बढ़-चढ़ भुनाया। लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आखिरकार असली मतलब तो जीत का है और उससे सारे भारतीयों में उपजी शान का है। लेकिन खेल से जुड़े हर पहलू और हर शख्स का अपेक्षित सम्मान किया जाना चाहिए।
सच कहें तो इस जीत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में दाखिल चार्जशीट की गंभीरता को हवा में उड़ा डाला और बाजार में बढ़ने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। सेंसेक्स व निफ्टी दोनों एक फीसदी से ज्यादा की बढ़त लेकर चल रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि जैसा मैने कहा था, मिड कैप व स्मॉल कैप स्टॉक्स में अच्छी-खासी हलचल शुरू हो गई है। इससे रिटेल निवेशकों को बड़ी राहत मिलेगी। अब वे बढ़े भावों पर इनसे निकल पाएंगे और नए उभरते स्टॉक्स में निवेश करेंगे। हमारी ख्वाहिश यही है कि यह कड़ी न टूटने पाए, यह सिलसिला जारी रहे।
नेहा इंटरनेशनल जैसे स्टॉक्स में ऊपर बढ़ने का स्पष्ट रुझान दिख रहा है जिसका मतलब है कि ऑपरेटर फिर से धंधे में उतर पड़े हैं। जाहिर है कि जब राजा मैदान में उतर पड़े हैं तो प्रजा तो अपने-आप उनके पीछे-पीछे चली जाएगी।
ए ग्रुप के शेयरों में सारी प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद अच्छी बढ़त हुई है जो साफ-साफ दिखाती है कि अब बाजार में गिरावट की आशंका खत्म हो चुकी है। लेकिन नोट बनाने का मौका अभी बी ग्रुप के शेयरों में है। थोड़ी रिसर्च कीजिए। अच्छे स्टॉक्स चुनिए और अपने नुकसान की भरपाई आप बहुत तेजी से कर सकते हैं।
सफलता का गहरा नाता सक्रियता से है। सफल लोग हमेशा सक्रिय रहते हैं। गलतियां वे भी करते हैं, लेकिन मैदान छोड़कर कभी नहीं भागते।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)