भरमाना था तो जबदस्ती गिराया था

मैंने कल जो कहा था, वो आज हो गया। कल अफवाहों और प्लांटेड खबरों के चलते बाजार तीखी गिरावट का शिकार हुआ था तो आज की दिशा लगभग तय थी। कल तय लक्ष्य था ट्रेडरों को भरमाना तो उस्तादों को लगा कि उन्हें दो बजे से बाजार बंद होने तक ही बेचने की जरूरत है। तीखी गिरावट के बावजूद कल एफआईआई शुद्ध खरीदार रहे थे। उन्होंने 2396.83 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी तो 2643.39 करोड़ की खरीद। इस तरह उनकी शुद्ध खरीद थी 246.56 करोड़ रुपए। जबकि आज उनकी शु्द्ध खरीद रही है केवल 9.46 करोड़ रुपए। बाकी आप खुद समझ सकते हैं…

कल 80 लाख कॉल राइट की गईं। इसलिए बढ़ने की दिशा का फैसला तो कल ही हो गया था। हमने कहा था कि हम सेंसेक्स में 300 अंकों की तेजी देख सकते हैं और आज ही हमने इसमें 260 अंकों की बढ़त देख ली।

सेंचुरी टेक्सटाइल्स में चहक जारी है। इसे हमने आपको 330 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी। आज यह 9.70 फीसदी बढ़कर 359.05 रुपए पर पहुंच गया। अब यह एक नए चक्र में है और बहुत जल्दी ही 450 रुपए के आसपास पहुंच जाएगा। बहुत तेजी से जोड़ीदार बॉम्बे डाईंग और इसके बीच का फासला अब घटता जाएगा।

पी-नोट की समस्या को लेकर दो बजे आज एक और अफवाह फैलाई गई जिससे सेंसेक्स की बढ़त 165 अंकों तक सिमट गई। अब यह शॉर्ट करनेवालों पर निर्भर करता है तो अपनी पोजिशन पर डटें रहें या काट दें। आज के दिन निफ्टी का टिपिंग प्वॉइंट 5290 पर था जिसके बाद 5328 तक ढेर सारी शॉर्ट कवरिंग हुई। लेकिन रुख बदलने का बिंदु है 5340, जो सोमवार को हासिल हो जाना चाहिए। निफ्टी आज 0.95 फीसदी की बढ़त लेकर 5278.20 पर बंद हुआ है, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5298 रहा।

टाइड वॉटर ऑयल में एंड्रयू यूल में प्रवर्तक के बतौर 26.22 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश की घोषणा अगले हफ्ते हो सकती है। इसके चलते यह स्टॉक बहुत तेजी से 40 रुपए तक पहुंच सकता है। फिलहाल आज यह 5.15 फीसदी बढ़कर 22.45 रुपए पर बंद हुआ है। कृपया इस पर नजर रखें।

आखिरकार सारी अफवाहें डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेट के दिन के करीब आने पर फैलाई जाती हैं। फिर भी इन्हें रोकने के लिए बाजार नियामक, सेबी तक के पास भी कोई जरिया नहीं है। यह सिस्टम की खामी है जहां रोल्स अनिवार्य हैं और रोल्स का इस्तेमाल अनावश्यक लहरें उठाकर ट्रेडरों को निचोड़ने के लिए किया जाता है। पुराने बदला सिस्टममें हमारे पास फिजिकल सेटलमेंट के साथ-साथ ऑटो रोल्स की व्यवस्था थी। इसलिए उसमें अभी जैसा सिरदर्द नहीं था और हर कोई खुश था। लेकिन एनएसई अभी का गलत सिस्टम चलाए जा रहा है क्योंकि इससे बाजार के उस्तादों का धंधा-पानी चलता है।

भारत निश्चित रूप से बदलेगा। लेकिन इसके लिए सहनशीलता के स्तर को उबलने के बिंदु तक पहुंचना होगा जहां बाजार के लोग बगावत कर देंगे।

अंत में, आप सभी को गुड़ी पडवा की ढेर सारी शुभकामनाएं…

सफाई और इंतज़ाम के गुण कहीं अंदर से नहीं आते। वे आते हैं शिक्षा और संस्कार से। और, ज्यादातर अच्छी चीजों की तरह उनकी भी आदत डलवानी पड़ती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलतः सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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