बाजार में करेक्शन या गिरावट को लेकर और भी डराने वाली रिपोर्टें जारी की जा रही हैं। ऐसे में पहले से डरे हुए ट्रेडर और निवेशक डिलीवरी आधारित सौदों से बचने लगे हैं और बाजार में शॉर्ट करने के मौके तलाश रहे हैं। लेकिन यह सब रोलओवर की तकलीफ है जिसे हमें झेलना ही पड़ेगा। इसी माहौल में मंदडियों के हमलों के तमाम सिद्धांत फैलाए जा रहे हैं। लेकिन नया सेटलमेंट शुरू होते ही ये सारे सिद्धांत हवा हो जाएंगे। भारतीय बाजार पारंपरिक रूप से लगभग 50 अंकों के दायरे में लांग व शॉर्ट होता रहा है जो एक हद तक साबित करता है कि अपने को शार्प-शूटर दिखलाने का हमारा जुनून मिट नहीं सकता भले ही इस चक्कर में हमारी जेब ही क्यों न कट जाए।
हीरो होंडा एक ऐसा स्टॉक है जिसने भारत में इतिहास बनाया है और अब तक अच्छा चला है। लेकिन अगर हीरो होंडा से होंडा निकल जाए, तब भी क्या यह यही रुख दिखाएगा? इस स्टॉक में शॉर्ट पोजिशन बन चुकी है क्योंकि इसे चलानेवाले ऑपरेटर को खुद अच्छी तरह पता है कि जापानी कंपनी होंडा अब हीरो होंडा से निकल रही है। हीरो होंडा का ट्रैक रिकॉर्ड पिछले कुछ सालों से कमोबेश 1000 फीसदी लाभांश घोषित करने का रहा है। दो रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर इसने 2007 में 17 रुपए (650 फीसदी), 2008 में 19 रुपए (850 फीसदी और 2009 में 20 रुपए (1000 फीसदी) लाभांश दिया है। लेकिन इस बार वह 110 रुपए का लाभांश दे रही जिसमें से 15 अप्रैल को 80 रुपए दिए जा चुके हैं और 1 सितंबर को 30 रुपए का लाभांश दिया जाएगा। सवाल उठता है कि कंपनी 5500 फीसदी का लाभांश क्यों और कैसे दे रही है?
अमूमन विदेशी साझीदार की झोली भरने के लिए विशेष लाभांश दिए जाते हैं, लेकिन इस कीमत पर नहीं कि 4000 करोड़ रुपए बतौर लाभांश दे देने के बाद बैलेस शीट में 200 करोड़ रुपए का कैश और 80 करोड़ रुपए का तरल निवेश ही बच जाए। यह कैश को खाली करने का तरीका है और यही है होंडा के निकलने का पूर्व संकेत। अब हीरो समूह के लिए आसान हो गया है कि वह हीरो होंडा में होंडा की हिस्सेदारी खरीदकर 40,000 करोड़ रुपए के मूल्यांकन वाली अपनी कंपनी में उसकी जगह कोई नया साझीदार ले आए। यह अचानक नहीं हुआ होगा। कैश को इस तरह निकालने का फैसला बाकायदा कंपनी के बोर्ड रूम में हुआ होगा। हालांकि इसके जापानी बैंकर ने न तो पुष्टि की है और न ही इनकार किया है कि होंडा मुंजाल परिवार का साथ छोड़ रही है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक मुंजाल परिवार होंडा की इस हरकत से बहुत नाखुश है।
हमने कभी भी स्टॉक को तलहटी और कम जोखिम पर खरीदने का सलीका सीखा ही नहीं है। कल ट्रेडर 300 रुपए पर भी एचडीआईएल को और ज्यादा खरीदने को तैयार थे और आज उसके 288 रुपए पर आ जाने पर वे डरे हुए हैं और पूछने लगे हैं कि अब क्या करें? क्या इसकी वजह मीडिया में एचसीसी के बारे में आई इस तरह की नकारात्मक खबरें हैं कि नारायण राणे ने लवासा के लीज अधिकारों पर सवाल उठा दिया है? क्या आप भारतीय नेताओं की फितरत नहीं जानते? कल को वे ही सामने आकर बोलेंगे कि सब कुछ एकदम दुरुस्त है। सच्चाई यही है कि लवासा प्रोजेक्ट में कंपनी के 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा लगे हुए हैं और सूत्रों के मुताबिक शरद पवार का वरदहस्त इस पर है तो गड़बड़ी कैसे हो सकती है? लवासा प्रोजेक्ट के लिए आईपीओ अक्टूबर में आना है और उससे पहले एचसीसी को इस तरह के ‘वसूली’ के झटके लगेगे। लेकिन इसी दौरान समझदार निवेशक को यह शेयर खरीदने का मौका मिल जाएगा। दूसरे ट्रेडर इसकी तरफ तब आएंगे जब यह 72 रुपए पर चला जाएगा। हम कैसे भूल सकते हैं कि 1:1 के बोनस से पहले अधिकांश फंड हाउस इसे 144 रुपए तक खरीदते रहे थे और अब तक किसी ने भी इसे बेचा नहीं है?
रीयल्टी सेक्टर पर एक बार फिर वाजिब ध्यान दिया जाने लगा है जो इस बात का साफ इशारा है कि इस सेक्टर के शेयर नई ऊंचाई पर जानेवाले हैं। बीएफ यूटिलिटीज 500 रुपए से शुरू हुआ और अब 1140 रुपए पर है। इस तरह ए ग्रुप के साथ-साथ बी ग्रुप से भी मूल्यवान स्टॉक चुनने की पर्याप्त गुंजाइश है। सेंचुरी, बॉम्बे डाईंग, अरविंद, एचसीसी, एचडीआईएल, इंडियाबुल्स रीयल एस्टेट और डीएलएफ ए ग्रुप के अच्छे शेयर हैं, जबकि बी ग्रुप में अनंतराज इंडस्ट्रीज, आरडीबी, इंडियन ह्यूम पाइप, धामपुर स्पेशियलिटी, एलनेट, विम प्लास्ट, कैम्फर, एसएनएल, त्रिवेणी ग्लास और आईओएल नेटकॉम शानदार रिटर्न देने की संभावना रखते हैं।
बाजार में गिरने की गुंजाइश सीमित है, जबकि यह निर्विवाद सच्चाई है कि रिटेल निवेशक अब तक की तेजी के दौर से बाहर ही रहे हैं। इसलिए अंततोगत्वा बाजार का नई ऊंचाई पर जाना तय है। सही वक्त व सही मूल्य पर सही स्टॉक का चुनाव आपको सही रिटर्न दे सकता है।
जब भी दुविधा में हों तो सच बोल देना चाहिए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)