गरवारे-वॉल रोप्स पुणे की कंपनी है। 1976 में बनी अच्छी और बाजार की मांग से जुड़ी टेक्सटाइल कंपनी है। कंपनी औद्योगिक इस्तेमाल वाले तरह-तरह के नेट व रोप्स बनाती है। अमेरिकी की फर्म वॉल इंडस्ट्रीज के साथ उसका गठबंधन है। हालांकि कंपनी की 23.71 करोड़ रुपए की इक्विटी में अमेरिकी फर्म का हिस्सा महज 0.02 फीसदी (3505 शेयर) है। भारतीय प्रवर्तक आर बी गरवारे की इक्विटी हिस्सेदारी 46.49 फीसदी है। कंपनी में एफआईआई का निवेश 4.48 फीसदी और डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) का हिस्सा 8 फीसदी है। बाकी 40.93 फीसदी इक्विटी आम निवेशकों के पास है। एलआईसी के पास कंपनी के 5.74 फीसदी, जीआईसी के पास 2.14 फीसदी और मॉरगन स्टैनली के पास 2.25 फीसदी शेयर हैं।
कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 91.57 रुपए है, जबकि उसका शेयर (अंकित मूल्य 10 रुपए) बीएसई में 5.61 फीसदी बढ़कर 82.90 रुपए और एनएसई में 5.53 फीसदी बढ़कर 83 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी ने 2009-10 में 453.68 करोड़ रुपए की आय पर 19.38 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ 8.17 रुपए है। शेयर ने 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर पिछले महीने 21 जून को 83.75 रुपए पर हासिल किया है। लेकिन जानकार बताते हैं कि यह जल्दी ही 90 रुपए तक जा सकता है। यानी, अब भी लगभग 10 फीसदी बढ़त की गुंजाइश इसमें है।
कंपनी बीएसई के बी ग्रुप में शामिल है। शेयरों में ट्रेडिंग बहुत ज्यादा नहीं होती। पिछले दो हफ्ते का औसत 15 हजार रोज का था। लेकिन कल इसमें लगभग 46 हजार शेयरों के सौदे हुए हैं। साथ ही एनएसई में हुआ वोल्यूम करीब 48 हजार शेयरों का था। कंपनी लगातार पांच सालों से लाभांश दे रही है। निवेश के लिहाज से यह शेयर साफ-सुथरा और संभावनामय नजर आता है। बाकी, देखने-भालने का काम आपका है।