टीसीएस ने कल उम्मीद से बेहतर नतीजे घोषित किए और शॉर्ट कवरिंग के चलते इसका शेयर खुला ही काफी ज्याद बढ़कर। लेकिन फिर मुनाफावसली शुरू हो गई तो तेजी फिलहाल आज के लिए थोड़ी थम गई। फिर भी कुल मिलाकर कल से दो फीसदी बढ़त के साथ बंद हुआ है। बाजार भी सुबह 5631.70 तक जाने के बाद नीचे आ गया। असल में यूरोपीय बैंकों के स्ट्रेस टेस्ट से पहले तमाम शॉर्ट सौदे करनेवाले थोड़ा दबाव में रहे। यूरो मुद्रा भी इस टेस्ट में दब गई थी।
मेरा मानना है कि यूरोप के बैंकों का स्ट्रेस टेस्ट तेजड़ियों द्वारा मंदड़ियों को कमजोर हालत में पकड़ने का मौका या बहाना है। यह टेस्ट बिना किसी समस्या के आसानी से निपट जाएगा। ऐसा होना अपरिहार्य-सा है क्योंकि उसमें बहुत सारे बड़े-बड़े नाम जुड़े हुए हैं। यही नहीं, इस पर पूरे यूरोपीय संघ की साख दांव पर लगी हुई है।
इस हफ्ते की दो बड़ी घटनाओं – एक, सीरियल हम ब्लास्ट और दो, टीसीएस के खराब नतीजों की अपेक्षा, ने मंदड़ियों को शॉर्ट होने के लिए उकसाया और तीसरी घटना स्ट्रेस टेस्ट के रूप में सामने आ गई। हकीकत यह है कि मंदड़ियों ने 5500 पर बेचा और फिर 5600 के नीचे बेचा। लेकिन निफ्टी के 5620 के ऊपर पहुंचने पर उन्हें अपने शॉर्ट सौदे काटने पड़े। इसकी उन्होंने कीमत भी कायदे से चुकाई है। इस तरह तेजड़ियों का पलड़ा भारी है।
मुझे नहीं लगता कि वे मंदड़ियों को धो-धोकर पीटने का यह सुनहरा मौका अपने हाथ से जाने देंगे। इसका संकेत रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और एसबीआई में आ रहे सुधार से मिलता है। बाजार में गिरावट के बावजूद इन दोनों स्टॉक्स में आज बढ़त देखी गई। मुझे लगता है कि इसी सेटलमेंट में बाजार के 5780 या 5800 तक जाने के पक्के आसार हैं और अगर ऐसा होता है तो अगले तीन महीनों में निफ्टी के 6300 तक पहुंचने की राह खुल जाएगी।
मेरी इस राय को इस बात से भी बल मिल रहा है कि तमाम शेयरों में ऑपरेटरों की वापसी होने लगी है और इनमें नई लय-ताल दिखने लगी है। कुछ विदेशी निवेशक संस्थाओं (एफआईआई) के प्रमुखों से भी मेरी बातचीत हुई है। इससे पता चला कि वे भी मिड कैप में खरीद की तैयारी में जुट गए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ए ग्रुप के शेयरों में नोट बना पाने की गुंजाइश बहुत कम है।
मैं आगे 2003 के धमाकों से बना एक पैटर्न भी देख रहा हूं जब बाजार अगले दो सालों में नई ऊंचाई पर पहुंच गया था। अब तक हुए हर धमाके के बाद कुछ ऐसा ही हुआ है। यह साफ दिखाता है कि जब भी देश की साख व सुरक्षा दांव पर लगती है, बाजार विनम्रता से उसके साथ खड़ा हो जाता है और हौसला-अफजाई के अंदाज मे बढ़ जाता है। इतिहास अपने को दोहराता है। सोमवार को बाजार के काफी बढ़कर खुलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
भरोसे के बिना कोई दोस्ती नहीं हो सकती और निष्ठा के बिना भरोसा नहीं जमता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)