बड़ी आम-सी बात हो गई है कि जब दुनिया के बाजार बढ़ते हैं तो हमारे बाजार में करेक्शन आ जाता है। भारतीय शेयर बाजार कल काफी बढ़े। लेकिन आज जब दुनिया के बाजार बढ़त पर थे तब हम कमोबेश ठंडे पड़े रहे। यह काफी समय से हो रहा है। हो सकता है कि यह इंट्रा-डे ट्रेडरों को छकाने की चाल हो।
व्यापक तौर पर माना जा रहा है कि निफ्टी का 5500 के ऊपर जाना बेहद मुश्किल है और इसी सोच के तहत काफी ज्यादा शॉर्ट सौदे किए जा रहे हैं। लेकिन मेरी राय इसके विपरीत है। हमारा बाजार धीरे-धीरे उठता है। निफ्टी धीरे-धीरे बढ़ेगा। लेकिन इस तरह दो कदम आगे, एक कदम पीछे चलता हुआ यह 5600 का स्तर हासिल करेगा और इसके बाद यह टॉप गियर में चला जाएगा।
इस बीच मेरा तो यही कहना है कि आपने अपना तौर-तरीका नहीं बदला तो आप ऑपरेटरों के शिकार बनते रहेंगे। अभी तो बाजार में ट्रेडरों से ज्यादा सलाहकार हो गए हैं। बिजनेस चैनल भी विशेषज्ञ सलाहकार बन बैठे हैं। वे मुफ्त में सलाह बांट रहे हैं और ऐसी सलाहों से उन्हें कुछ मिलता हो, ऊपर से ऐसा भी नहीं लगता। लेकिन अच्छी तरह समझ लें कि इस ‘मुफ्त’ खेल में आप बुरी तरह इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अपने को बचाने का एक ही रास्ता है कि किसी स्टॉक को तब खरीदें, जब उसे कोई न खरीद रहा हो, उसे थोड़ी तकलीफ उठाकर होल्ड किए रखें और जैसे ही उसमें चर्चा उठने के बाद बढ़त हो, फौरन बेचकर मुनाफा कमा लें। इस तरीके से कम से कम एक चीज तो होगी कि आपका पैसा नहीं डूबेगा।
मैं टाटा स्टील में निवेश की सलाह तब से दे रहा हूं, जब यह 450 रुपए पर था। फिलहाल यह 550 रुपए पर पहुंच चुका है और इसकी संभावनाएं अब भी चुकी नहीं हैं। यह 600, 700 व 800 रुपए का स्तर पार करेगा और एक नई ऊंचाई हासिल करेगा। लेकिन बढ़े हुए स्तर पर खरीद करना आपको अवांछित जोखिम में फंसा देता है। गलतियां हमसे भी होती हैं। जैसे, हमारी स्ट्रीट कॉल टीम ने बजाज हिंदुस्तान में खरीद की कॉल दे दी, जबकि हम पूरे चीनी सेक्टर को लेकर नकारात्मक राय के थे। ऐसी बातों के लिए कंपनी प्रबंधन का खेल भी जिम्मेदार होता है।
फिर भी साल भर में दी जानेवाली 500 से ज्यादा सलाह में से अगर 2 या 3 कॉल गलत निकल आती हैं तो इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ऐसी ही बात आपने आरडीबी इंडस्ट्रीज में देखी होगी। यह 250 से 350 करोड़ रुपए की कंपनी है। फिर भी कुछ लोगों ने खेल कर दिया तो ट्रेडर सारा दोष हम पर मढ़ रहे हैं। बंधुवर, हमने यह स्टॉक 100 रुपए पर एक साल के लिए खरीदने की सिफारिश की थी। इसके बाद फिर इसे 52 रुपए पर खरीदने की सलाह दी। इस तरह हमारा बताया औसत मूल्य हुआ 76 रुपए, जबकि यह शेयर अभी 75 रुपए पर चल रहा है। तो, नुकसान कहां हुआ?
ट्रेडिंग और निवेश, दोनों ही बहुत सारे लोगों के लिए शगल या हॉबी बना हुआ है। लेकिन वे यह नहीं समझते कि यहां सीधा-सा वैज्ञानिक नियम चलता है कि ज्यादा जोखिम उठाने पर ही ज्यादा रिटर्न मिलता है। अगर आप जोखिम नहीं उठाना चाहते तो भारती, आइडिया, आरआईएल और एसबीआई जैसे शेयरों में निवेश कीजिए जिनकी सलाह हम बराबर अपनी स्ट्रीट कॉल में दिया करते हैं।
हमारे 62,000 ग्राहकों में से कुछ ए ग्रुप के शेयर चाहते हैं, कुछ बी ग्रुप के तो कुछ ज़ेड ग्रुप के। हम स्टॉक्स को इसी हिसाब से वर्गीकृत करते हैं। इसमें से आप अपना स्टॉक चुनें और वह भी आंख मूंदकर नहीं, बल्कि पूरी तरह आश्वस्त हो जाने के बाद। सेबी भी आंख मूंदकर निवेश करने से आगाह करता रहा है और इसका मकसद एक ही है कि आप शेयर बाजार में निवेश के जोखिम को अच्छी तरह समझ लें। चक्री ने अभी तक अपने 62,000 सदस्यों में से 61,500 से ज्यादा के साथ ईमानदार दोस्त की भूमिका निभाई है।
इस दुनिया में हमारा ज्यादातर सफर एकाकी ही होता है। हम हद से हद यही कर सकते हैं कि इस यात्रा में अपने लिए कोई ईमानदार दोस्त तलाश कर लें।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)