सेंसेक्स का 20,500 अंक पर पहुंचना और चालू वित्त वर्ष 2010-11 के अनुमानित लाभ के 21 पी/ई अनुपात पर ट्रेड होना निश्चित रूप से ऐसे पहलू हैं जिन पर निवेशकों को ध्यान देने की जरूरत है। बाजार की मौजूदा तेजी की खास वजह ज्यादा तरलता या लिक्विडिटी है। इसलिए हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि यह तरलता कब तक रहेगी? अगले दो महीने में 77,000 करोड़ रुपए के आईपीओ आने हैं जो बाजार से भारी तरलता सोख लेंगे। म्यूचुअल फंडों के एनएवी बढ़ गए हैं तो उनसे भी निवेशक बेचकर बड़े पैमाने पर बाहर निकल रहे हैं।
निवेशक इस समय ‘क्या करें, क्या न करें’ की हालत में हैं। वे दुखी हैं कि सेंसेक्स के 8000 से 20,000 अंक तक पहुंचने की यात्रा से बाहर रह गए। अब निवेश करना चाहते हैं। लेकिन डर की वजह से कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं। मेरा मानना है कि उनको यह बात मन में बैठा लेनी चाहिए कि इस समय बाजार में निवेश के मौके हैं और इसके बाद वाजिब शेयरों की तलाश में जुट जाना चाहिए।
सबसे पहली बात हम सभी को जान लेनी चाहिए कि बाजार की यह तेजी व्यापक आधार वाली नहीं है। ज्यादा खरीद से केवल सेंसेक्स में शामिल 30 शेयर ही बढ़े हैं। साथ ही कुछ ऐसे मिड कैप शेयरों में तेजी आई है जिन्हें म्यूचुअल फंडों और ऑपरेटरों ने केवल अपने धनबल पर ऊपर चढ़ाया है। मुश्किल यह है कि आप कभी नहीं जान पाते कि आपको कब बेचकर निकल जाना चाहिए या यह कि सचमुच की बुरी खबर से कब किसी शेयर को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
इन तथ्यों की रोशनी में मैं ऐसे शेयरों को खरीदने की पुरजोर वकालत करता हूं जो अब भी सही मायनों में सेंसेक्स के 10,000 वाले स्तर पर बने हुए हैं। मेरी राय में इस समय आइरन ओर, फेरो क्रोम और रीयल्टी ही इस शर्त को पूरा करनेवाले तीन सेक्टर हैं और निवेशकों को इनकी तरफ गौर करना चाहिए। ब्याज दरें कभी भी बढ़ सकती हैं जिसके परिमाणस्वरूप ऑटो और बैंकिंग सेक्टर में चल रही रंगरेलियां खत्म हो जाएंगी। आइरन ओर की कीमतें दुनिया के पैमाने भर में उत्पादन के घटने और उपलब्धता में भारी कमी के चलते दोगुनी होने जा रही हैं। इसलिए मैं इस सेक्टर के शेयरों में खरीदने की मजबूत सलाह देता हूं। मेरा तो यही मानना है कि आप अच्छे शेयरों को चुनकर सेंसेक्स को मात दे सकते हैं।
हेजिंग करते रहना जरूरी है। चकाचौंध से घिरे स्टॉक्स से बचने की कोशिश करें और ऐसे शेयर खरीदें जिनका पी/ई अनुपात अभी 10 से नीचे चल रहा है।
ऊर्जा और लगन ऐसी आरियां हैं जो सारी प्रतिकूलताओं को काटकर रख देती हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
THIS TIME HCC KA PE TO 40 KE AAS PASS HAI TO KYA HCC KO SELL KAR DE, PLZ CLEAR THIS