अब तक के इतिहास में केवल वीपी सिंह ऐसे वित्त मंत्री रहे हैं जिन्होंने बाजार बंद रहने के दिन, शनिवार को बजट पेश किया था। इस बार का बजट भी इस मायने में पहला है कि इसके बाद लगातार तीन दिन की छुट्टियां पड़ रही हैं। शनिवार, रविवार और फिर सोमवार को होली। इसलिए हमारे माननीय वित्त मंत्री अपने बजट प्रस्तावों पर बाजार की पूरी प्रतिक्रिया जानने से तीन दिन तक महरूम रह जाएंगे।
अमूमन बजट शेयर बाजार के कारोबारी दिन में पेश किए जाते हैं क्योंकि हर कोई वित्त मंत्री जानना चाहता है कि संसद में पढ़े गए उसके प्रस्तावों पर बाजार का क्या रुख है। यही वजह है कि प्रणब मुखर्जी ने 28 के बजाय 26 फरवरी को बजट पेश करने का फैसला किया। लेकिन 27, 28 फरवरी व 1 मार्च को लगातार बाजार बंद रहेगा। और बजट का असली असर तो शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद ही सामने आएगा क्योंकि बजट के पूरे दस्तावेज़ 5-6 बजे शाम से पहले नहीं मिल पाते। जैसे, मुझे बजट के दिन शाम को 6 बजे ही वित्त मंत्रालय के मुख्यालय नॉर्थ ब्लॉक से सारे दस्तावेज मिल पाते हैं। और, समग्र विश्लेषण तो सारे दस्तावेजों की थाह लगाने पर ही हो सकता है क्योंकि वित्त मंत्री के बजट भाषण में सारी चीजें नहीं आ सकतीं।
बाजार ने पिछले दो हफ्तों में मजबूती हासिल की है। निफ्टी 4650 तक चला गया था। उसके बाद 4800 से 4900 के बीच खरीद हो रही है। हालांकि निफ्टी के 4900 के पार जाने पर बिकवाली बनी थी, लेकिन इसके 4830 से 4870 के आसपास रहने पर एफआईआई व दूसरे बाजार कारोबारियों द्वारा खरीद की गई है। गुरुवार को निफ्टी का बंद स्तर 4859.75 रहा है। अभी हालात तेजी के पक्ष में लग रहे हैं। हालांकि एक डुबकी से इनकार नहीं किया जा सकता और फिर नए सेटलमेंट के पहले दिन से खरीद बढ़ सकती है। ऐसा तीन दिन की छुट्टियों के बाद मंगलवार को बाजार खुलने पर हो सकता है।
फिलहाल स्थिति यह है कि रिटेल निवेशक और एचएनआई (अमीर व्यक्तिगत निवेशक) बाजार से हाथ खींचे हुए हैं। सारा कुछ एफआईआई के भरोसे है। सरकार बाजार में तेजी के पक्ष में है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की अगली कंपनी एनएमडीसी का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) 10 मार्च को आनेवाला है। इससे पहले एनटीपीसी के एफपीओ को बेहद ठंडा रिस्पांस मिला है। आरईसी का भी यही हश्र होनेवाला था। लेकिन आखिरी घंटों में 206, 210, 215 और यहां तक कि 218 रुपए के भाव पर बोलियां आ गईं, जबकि न्यूनतम बोली 203 रुपए रखी गई थी और इश्यू तीन गुने से ज्यादा ओवरसब्सक्राइब हो गया। इससे पहली परेशानी उन निवेशकों को होगी जिन्होंने पक्का आवंटन होने के यकीन के साथ आरईसी में शॉर्ट सेलिंग कर रखी है। उन्होंने डेरिवेटिव के साथ-साथ स्टॉक एक्सचेंज के बाहर ग्रे मार्केट में भी शॉर्ट सौदे कर रखे हैं। यहां तक कि एफआईआई का आकलन है कि आरईसी के नए शेयर ज्यादा भाव पर लिस्ट होंगे।
सवाल उठता है कि जब बाजार में सुस्ती का आलम था, तब अचानक आरईसी में चमक कैसे आ गई? एफआईआई व दूसरे निवेशकों में उत्साह की लहर कैसे दौड़ गई? जाहिर-सी बात है कि आग के बिना धुआं नहीं हो सकता। नॉर्थ ब्लॉक के सूत्रों के मुताबिक एफआईआई को वित्त मंत्रालय के कुछ उच्चाधिकारियों से मिलने का मौका मिला, जिन्होंने उन्हें समझाया कि वित्त मंत्री बाजार को लेकर उनकी चिंताओं को समझते हैं और ऐसा कुछ नहीं करनेवाले हैं जिससे बाजार की भावनाओं को ठेस लगे। इस आश्वासन के बाद एफआईआई आरईसी के इश्यू से बंधने लगे और हालत यह हुई कि निचले स्तर पर बोली लगाने के कारण एलआईसी को शायद इस एफपीओ में कुछ न मिल पाए।
तो, अगला इश्यू एनएमडीसी का है जो बजट के 9 दिन बाद आएगा। इसलिए अहम सवाल यह है कि ऐसे वक्त में वित्त मंत्री या वित्त मंत्रालय बाजार को नाखुश करना गवारा कर सकते हैं? वैसे भी बाजार में चर्चा है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.5 फीसदी रहेगा और इससे कम रखा गया तो इसका स्वागत होगा। सरकार पहले ही यूरिया पर सब्सिडी घटा चुकी है। बजट से बाहर पेट्रोल के दाम भी बढ़ाए जा सकते हैं। बजट में आखिर गलत हो भी क्या सकता है? कोई उम्मीदें नहीं हैं, विनिवेश का श्रेय नहीं है, 3-जी नीलामी की रकम नहीं है, टैक्स बढ़ने की अपेक्षा नहीं है? हां, यह जरूर संभव है कि एसटीटी (सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) हटा लिया जाए। ऐसे में बजट से बाजार को आशंकित रहने की कोई वजह नहीं दिखती।
आत्मबल इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। यह सलामत है तो वह बड़ी-बड़ी मुश्किल से जूझ सकता है, जीत सकता है।
(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। इस कॉलम को लिखनेवाला खुद को अनाम रखना चाहता है। हालांकि वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)