विश्व स्तर पर भी लगता है कि बद से बदतर हालात के असर को पूरी तरह जज्ब किया जा चुका है। ओवरसोल्ड हालत में पहुंच चुके दुनिया के शेयर बाजार से अब यहां से उठते चले जाएंगे। इस बीच भारतीय शेयर बाजार भी बेहद ओवरसोल्ड स्थिति में पहुंच गया है। डेरिवेटिव सौदों के रोलओवर में केवल सात दिन बचे हैं। इसलिए भारतीय बाजार की दिशा अब केवल बढ़ने की ही होनी है। इसी सेटलमेंट में निफ्टी 5500 पर पहुंच जाए तो मुझे कोई अचरज नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर ट्रेडरों ने इसमें 4800 का पुट ऑप्शन खरीद रखा है।
एक प्रमुख एफआईआई ब्रोकिंग हाउस ने उभरते बाजारों का हिस्सा 50 फीसदी से बढ़ाकर 58 फीसदी कर दिया है जो तब तक संभव नहीं है जब तक भारत को अपग्रेड न किया जाए। हो सकता है कि मेरा यह कहना गलत हो कि भारतीय बाजार तमाम टेक्निकल एनालिस्टों द्वारा सोचे गए 4800 के स्तर तक नहीं जाएगा। असल में यह उनकी इच्छा है, राय नहीं। निफ्टी में 5060 के स्तर पर वन-मैन आर्मी (केतन पारेख एंड कंपनी) सारी बिकवाली की मार झेलने को तैयार है, जबकि एक प्रमुख एफआईआई 4940 पर 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा लगाने को तैयार बैठा है। यह साफ संकेत इस बात का है कि हम एकदम निचले धरातल पर पहुंच चुके हैं। यह उन लोगों के लिए निवेश का आखिरी मौका है जिनके पास इफरात कैश है।
अगर मैं गलत भी हो जाऊं और निफ्टी 4800 पर पहुंच जाए तो यह स्थिति इतने कम समय के लिए रहेगी कि आपको सही भाव पर अच्छे शेयरों को खरीदना का मौका ही कभी नहीं मिल पाएगा। जैसे, मारुति सुजुकी ने 1147 रुपए पर खरीदने का अच्छा अवसर पेश किया था जिसका दोबारा मिलना अब काफी मुश्किल है। इसी तरह इंडिया सीमेंट्स 63 रुपए और एसीसी 948 रुपए पर अच्छा मौका पेश कर चुके हैं। यहां तक कि टाटा मोटर्स और टाटा स्टील भी निवेश का अच्छा मौका पेश कर रहे हैं। लेकिन खरीद का फैसला तो आपको ही करना है।
ए ग्रुप के अलावा बी ग्रुप में भी काफी सारे अच्छे स्टॉक्स हैं जहां आप अपना धन कई गुना कर सकते हैं। हमारी टीम का आकलन है कि चाहे कुछ भी हो जाए, सेंसेक्स फरवरी 2012 तक 22,000 पर होगा और दिसंबर 2012 या जून 2013 तक 30,000 पर पहुंच जाएगा। हालांकि सेंसेक्स आज 0.65 फीसदी घटकर 16,730.94 और निफ्टी 0.73 फीसदी घटकर 5035.80 पर बंद हुआ है।
नर्क की सबसे भयावह जगहें उन लोगों के लिए आरक्षित हैं जो नैतिक संकट के दौर में भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)