बाजार में चर्चा चल निकली है कि अभी दाम ज्यादा चढ़े हुए हैं और अब करेक्शन या गिरावट आने को है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि फौरन ऐसा कुछ होनेवाला है। मैंने ब्लूमबर्ग पर काफी तेज किस्म के एक फंड मैनेजर की टिप्पणी पढ़ी। इसे पढ़ने के बाद मैं मानता हूं कि अभी किसी भी फंड मैनेजर के लिए मंदी या गिरावट की धारणा पाल लेना काफी जल्दबाजी होगी। वो यह गलती सेंसेक्स के 8000 अंक पर कर चुके हैं और अब 18,000 के स्तर पर भी उसे दोहराने जा रहे हैं।
सारे बाजारों का बाप, अमेरिका का बाजार किसी की भी उम्मीद से परे जाकर 6800 से बढ़कर 11,000 पर पहुंच गया है। यह 62 फीसदी की शानदार बढ़त है। वह भी तब अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मूल हालत ऐसे किसी शानदार सुधार का संकेत नहीं दे रही। अमेरिका में अब भी हाउसिंग और बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है और वहां की विकास दर भारत से बहुत-बहुत नीचे है।
अगर हम कहें कि बाजार का पीई अनुपात 17 पर पहुंच गया है, इसलिए अब और उठने से पहले गिरावट आनी चाहिए तो यह गलत होगा। हम सभी जानते हैं कि कोई भी निवेशक सेंसेक्स की 81 फीसदी बढ़त के बराबर रिटर्न नहीं हासिल कर सका है। निवेश के माध्यमों में बुलबुला, गुब्बारा और भारत-चीन की तमाम बातें हम कितनी भी कर लें, लेकिन हकीकत यही है कि भारतीय पूंजी बाजार में लिक्विडिटी या तरलता बड़े पैमाने पर है। असल में, हो सकता है कि अगले छह महीनों में ही बाजार का ऐसा स्तर आ जाए जहां से नीचे आने की कोई गुंजाइश ही न हो। तब बाजार अपना नया शिखर छू सकता है।
जहां तक रिस्क या जोखिम की बात है तो मैं साफ कर दूं कि जब सेंसेक्स 8000 पर था तब भी जोखिम की घटाएं मंडरा रही थीं। इसलिए ये सब मेरे लिए सापेक्ष बातें हैं। असली बात ये है कि आप किस चीज को किस फ्रेम और नजरिए से देख रहे हैं।
अवसर हर बाजार में होते हैं और इस दौरान कुछ स्टॉक तेज भागते हैं और कुछ कच्छप गति पकड़े रहते हैं। खास मौके पर अच्छे निवेशक का काम होता है कि दी गई स्थितियों का भरपूर फायदा उठाए ताकि अच्छे से अच्छा रिटर्न पाया जा सके, न कि यही इंतजार करता जाए कि बाजार का सटीक वक्त कब आएगा।
सवाल उठता है कि जब हम एकदम कॉमनसेंस से, बगैर किसी दमखम के पैसे बना सकते हैं तो फंड और बड़े-बड़े इनवेस्टर क्यों नहीं कर सकते। एलआईसी ने बड़े पैमाने पर एस्सार ऑयल के शेयर 240 रुपए पर खरीदे थे, जिसके बाद यह गिरकर 123 रुपए पर आ गया तो उस वक्त हमने निवेश क्यों नहीं किया? हां, मुझे पता है कि एस्सार ऑयल अब 153 पर है और 170 रुपए पर पहुंचने के बाद शायद नई रेंज पकड़ ले। हम यह भी जानते हैं कि हम आरजे (राकेश झुनझुनवाला) या देश के किसी भी निवेशक से बेहतर स्ट्राइकर हैं।
यही बात इंडिया सीमेंट में देखी जा सकती है। इसकी बिजनेस वैल्यू 116 थी, जबकि स्टॉक काफी समय तक 116 के नीचे पड़ा रहा। आईपीएल टीम के 37 करोड़ डॉलर के मूल्याकंन ने ही इंडिया सीमेंट के मूल्य में 90 रुपए का इजाफा कर दिया है। मेरा यकीन करें कि अगले दो-तीन सालों में आईपीएल टीम का मूल्यांकन 120 करोड़ डॉलर पर जा सकता है जिसका मतलब होगा कि इंडिया सीमेंट का शेयर 450 रुपए के ऊपर होगा। अकेले आईपीएल के दम पर दो सालों में 100 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मजे में मिल रहा हो तो हमें और बहुत कुछ जानने की जरूरत क्या है। हम रेनदिवो या सहारा नहीं हैं कि 37 करोड़ डॉलर लगा सकें, लेकिन आईपीएल से जुड़ी इंडिया सीमेंट जैसी कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाकर उनके लगाए पेड़ के फल तो खा ही सकते है।
ऐसा ही मामला बॉम्बे डाईंग मे देखा जा सकता है। हमारी रिपोर्ट 10,000 रुपए की है जो बॉम्बे डाईंग के 75 शेयरों की लागत के बराबर है। हमने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यह शेयर 130 से बढ़कर 600 रुपए तक जाएगा। हमारी पहली रिपोर्ट में कंपनी की जमीन और उसकी कीमत की गणना की गई थी। एक्सिस बैंक के सौदे ने उस मूल्यांकन को सच साबित कर दिया है और अब एक एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने कंपनी की जमीन का आकलन किया है और वे बॉम्बे डाईंग का शेयर 600 रुपए पर खरीद रहे हैं इस लक्ष्य के साथ कि यह 1200 तक जाएगा। अगर जमीन की सारी कीमत खातों में आ जाती है तो यह कहानी 1200 रुपए पर ही नहीं रुकेगी।
खैर जो भी हो। हमार काम तो आपके लिए विंडसर (3 महीने में 100 फीसदी बढ़त) जैसे अधिक से अधिक शेयर निकाल कर लाने का है। बाकी काम आपका है।
करेक्शन बाजार के स्वभाव व गति का हिस्सा है। तीन कदम आगे और दो कदम पीछे जाना बाजार की रणनीति है। अगर आप इसको समझ सकते हैं तो आपका डर और लालच काफूर हो जाएगा। इस महीने नतीजों की घोषणा पर बाजार में करेक्शन आ सकता है, लेकिन सभी शेयरों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। कुछ ऐसे भी शेयर हो सकते हैं जो नतीजों से अलग हटकर बेहतर चाल दिखाएं। उन्हें पकड़ने की कोशिश कीजिए।
मौकों की रेल सबके सामने से गुजरती है। स्टेशनों पर रुक कर यात्रियों का इंतजार भी करती है। जो सवार हो जाते हैं वे मंजिल पर पहुंचते हैं। बाकी दुविधा में फंसे लोग तैयारियां ही करते रह जाते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)