इस समय रीयल्टी क्षेत्र के शेयरों में काफी शॉर्ट सेलिंग ब्याज दरें बढ़ने के अंदेशे में हो रही है। लेकिन मैं तो हमेशा की तरह जब हर कोई बेच रहा होता है, तब खरीदने के पक्ष में रहता हूं। वैसे भी रीयल्टी सेक्टर मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं मानता हूं कि रीयल्टी कंपनियों के लिए लागत में जितना पलीता लगता है, उतना ही वे अपनी प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ाते हैं और उनका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) घटने के बजाय बढ़ जाता है। हम ऐसा टेलिकॉम क्षेत्र में देख चुके हैं। यह काम बहुत कच्चा और अनगढ़ है कि शॉर्ट सेल करो, कारोबारियों को गुमराह करो, उन्हें फंसा दो और फिर मुनाफा बटोरो। ज्यादातर कारोबारी अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं और इसलिए उन्हें बहुत समझ में नहीं आता।
नौ सालों के बाद डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की इजाजत दी गई है, भले ही सैद्धांतिक स्तर पर। लेकिन यह किसी भी डेरिवेटिव बाजार की जान है। हमने बहुत सारे शेयरों में निहित स्वार्थी तत्वों के खेल देखे हैं, उनकी जोड़तोड़ देखी है। हमने यह भी देखा है कि इस खेल में सजा तमाम ऐसे लोगों को दी गई जिनकी इसमें कोई भूमिका ही नहीं थी। साथ ही यह भी देखा है कि कैसे कोई स्टॉक बिना किसी ठोस आधार के 100 रुपए से छलांग लगाकर 700 रुपए तक चला गया। फिर अचानक लुढ़क कर 200 रुपए आ गया और उसका सारा बाजार पूंजीकरण रातोंरात स्वाहा हो गया। हमने देखा है कि कैसे कुछ शेयर प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बेचने के बाद 20 रुपए से घटकर 5 रुपए पर आ गए। फिर भी स्टॉक एक्सचेंजों या पूंजी बाजार नियामक सेबी ने आगे बढ़कर कोई कार्रवाई नहीं की। वे तो यही सवाल पूछते हैं कि किसने नुकसान झेला है? और क्यों किसी ने कोई शिकायत नहीं की?
अजीब बात है! कोई शेयर 30 दिन में 75 फीसदी घट चुका है और आप चाहते हैं कि कोई औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करवाए? ऐसे में हम कैसे दावा कर सकते हैं कि हम सबसे विकसित बाजार हैं? मुझे तो लगता है कि अब केवल निफ्टी में ही सौदे होने चाहिए क्योंकि इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलती जा रही है और सबसे खास बात है कि इसका धंधा शुद्ध रूप से सट्टा है। इसमें फिजिकल डिलावरी का चक्कर नहीं है तो शेयर की तरह इसे खाते में सहेज कर रखने की जरूरत नहीं है।
जो भी हो, वित्त मंत्रालय को हमारे पूंजी बाजार के बारे में ज्यादा सोचना चाहिए क्योंकि यह उसका कर्तव्य है। अगर सरकार को अपनी कंपनियों के शेयर बाजार मूल्य से 30-40 फीसदी कम भाव पर बेचने पड़ रहे हैं तो साफ है कि समस्या कहां है।
हमारी रिपोर्ट आने के बाद आईएमएफए का भाव दोगुना हो चुका है और अब यह चार अंकों की तरफ बढ़ रहा है। जल्दी ही आप फेरो क्रोम और फेरो एलॉय बनानेवाली कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखनेवाले हैं। इस सिलसिले में मुझे लगता है कि फेरो एलॉय कॉरपोरेशन (फैकॉर) की बिक्री हो सकती है और इसका मूल्य 1100 करोड़ रुपए आंका जा सकता है। ऐसा हुआ तो आईएमएफए बहुत जल्दी फिर दोगुना हो जाएगा। आईएमएफए बाजार की अगुआ कंपनी है। जायसवाल के सौदे के बाद बालासोर और बेल्लारी में काफी चाल आ गई है। जल्दी ही एमएसपी भी इसी दिशा में जाएगा। बेरियम जिंसों में भारी ब्रेक आउट नजर आ रहा है। इसलिए बेरियम से जुड़े शेयरों पर गौर करना चाहिए।
निफ्टी 5270 पर बंद हुआ है जो हमारे 5280 के स्तर से काफी करीब है। 5300 के पार जाते ही इसमें और चमक आ सकती है। इंडिया सीमेंट ने अच्छी चाल दिखाई है और चौथी तिमाही के नतीजों और आईपीएल के मूल्यांकन के बाद इसमें काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है। रोलओवर में अब केवल तीन दिन बचे हैं और चूंकि बाजार अब भी शॉर्ट है, इसलिए निफ्टी के नई ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना है।
चलते-चलते बता दूं कि हर कारोबारी व पोजीशन लेनेवाला अपनी ही रणनीति पर चलता है। मैं मानता हूं कि हर किसी के अपने सूत्र होते हैं और उसे लगता है कि सबसे पुख्ता सूत्र उसी का है। वे उसी की सलाह पर चलते हैं और उनकी सारी ट्रेडिंग तुरत-फुरत की होती है। वे आगे-पीछे या दूर तक सोचने की जहमत ही नहीं उठाते।
कर्म ही किसी को कामयाब बनाता है। किस्मत के दम पर लॉटरी खेलनेवाले ज्यादातर कंगाल ही रहते हैं। हां, उन्हें जो खिलाता है, वह यकीनन करोड़ों का मालिक बन जाता है।
(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)