शेयर बाज़ार में निवेश/ट्रेडिंग के दो ही अंदाज़ हैं – लांग टर्म और शॉर्ट टर्म। यह अलग बात है कि लांग टर्म इधर छोटा और शॉर्ट टर्म लंबा होता गया है। इसमें से लांग टर्म या लंबी अवधि का निवेश/ट्रेडिंग अपेक्षाकृत बहुत सरल है। इसके लिए हर दिन बहुत कम समय देना पड़ता है और इसमें न्यूनतम मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ता है। खासकर तब जब आप इसे फुरसत के वक्त में करते है। इसके लिए किसी जटिल सिस्टमऔरऔर भी

दिल्ली की कंपनी है एक्शन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट। क्रेन, लोडर व बुलडोजर टाइप उपकरण बनाती है। रेलवे, डिफेंस और कंस्ट्रक्शन व इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग में इसका माल खपता है। देश में मोबाइल क्रेन का आधे से ज्यादा बाज़ार इसके पास है। शेयर सस्ता दिखता है। लेकिन कल ही आए कंपनी के नतीजे अच्छे नहीं रहे। स्मॉल कैप कंपनी है। खुद रिसर्च करके देखें कि इसमें निवेश करना चाहिए कि नहीं। हम आज दो लार्ज कैप कंपनियां लेकर आए हैं।औरऔर भी

अपने शेयर बाजार में, लगता है जैसे तूफान के पहले की शांति चल रही है। दिन के दिन में 2 फीसदी से ज्यादा उछल जानेवाले सूचकांक सीमित दायरे में बंध कर रह गए हैं। जैसे, शुक्रवार 2 नवंबर को निफ्टी नीचे में 5682.55 से ऊपर में 5711.30 तक, यानी 28.75 अंक के दायरे में ही घूम गया। सेंसेक्स का भी यही हाल है। महीने भर पहले 3 अक्टूबर को सेंसेक्स 18,869.69 पर बंद हुआ था तो 2औरऔर भी

बाजार के पंटर भाई लोग सुबह से ही यह मानकर शॉर्ट हो चले थे कि कल की तेजी टिक नहीं पाएगी क्योंकि बाजार में चहक लाने जैसा तो कुछ है नहीं। अब एक एफआईआई ब्रोकिंग हाउस ने रिपोर्ट जारी कर दी है कि राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के पार चला जाएगा। इसलिए कुछ भी संभावनामय नहीं लग रहा। क्या आप मेरे केवल एक सवाल का जवाब दे सकते हैं कि बाजार जब 15,500 पर कमजोर दिख रहाऔरऔर भी

किसी भी विदेशी ब्रोकिंग हाउस का नाम ले लो, उसे भारत को डाउनग्रेड करने में कोई हिचक नहीं होती। वे खटाखट आर्थिक विकास की संभावनाओं से लेकर बाजार तक को नीचे से नीचे गिराते जा रहे हैं। ताजा उदाहरण सीएलएएसए का है। इन ब्रोकिंग हाउसों ने भारत में निवेश को, यहां की आस्तियों को रिस्की ठहरा दिया है। वजह गिनाई है मुद्रा प्रबंधन की अक्षमता, नीतिगत फैसलों में ठहराव, राजकोषीय घाटे को संभालने में नाकामी और मुद्रास्फीतिऔरऔर भी

बाजार में शुरुआती भाव बढ़त की उम्मीद का रहा क्योंकि पिछले दो सत्रों में भारी गिरावट हो चुकी थी। सूचकांक बढ़कर खुले। लेकिन फिर शॉर्ट सौदों की मार शुरू हो गई। बहुत सारे धुर जुआरियों में ट्रेडिंग के दम पर रातोंरात लाखों कमाने की चाहत अब भी जोर मार रही है। इनमें से कुछ लोग बाजार में सुधार आने की उम्मीद में ट्रेड कर रहे हैं तो बहुत से लोग गिरावट पर ही खेलना चाहते हैं। और,औरऔर भी

पल में तोला, पल में माशा। रिटेल सेक्टर के जो शेयर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के फैसले के बाद बल्ले-बल्ले उछल रहे थे, वे इस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने की अपुष्ट खबरों के आते ही धड़ाम-धड़ाम गिर गए। आज पैंटालून रिटेल 12.86 फीसदी, कूटोंस रिटेल 6.49 फीसदी और ट्रेंट 3.28 फीसदी गिर गए। शॉपर्स स्टॉप भी एनएसई में दिन के दौरान 9.35 फीसदी गिरने के बाद संभला और आखिर में 4.72 फीसदी के साथ बंदऔरऔर भी

संसद में छाया राजनीतिक गतिरोध सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को रिटेल में एफडीआई या सिविल एविएशन को विदेशी एयरलाइंस के लिए खोलने जैसे बड़े फैसले नहीं लेने देगा। अभी तक इस सेटलमेंट में इन दोनों ही सेक्टरों के स्टॉक्स काफी ज्यादा खरीदे जा चुके हैं। अब वे कैश सेटलमेंट के नए शिकार हैं। इसलिए इनमें खरीद करते वक्त काफी सावधान रहने की जरूरत है। पिछले सेटलमेंट में मैंने आपको डिश टीवी के बारे में जो बताया था, वोऔरऔर भी

सेटलमेट का पहला दिन और इससे ज्यादा सन्निपात से भरा कोई और दिन हो ही नहीं सकता था। वोलैटिलिटी को दिखानेवाला इंडिया वीआईएक्स 4.18 फीसदी बढ़कर 29.12 पर जा पहुंचा। निफ्टी ऊपर में 4767.30 तक तो नीचे में 4693.10 तक। सांसें इतनी ऊपर-नीचे! हालांकि बाजार में थोड़ी-बहुत खरीद चालू हो चुकी है। फिर भी बाजार के उस्तादों ने बीते सेटलमेंट में जो गोटें सेट की हैं, उनके हिसाब से दिसंबर तक की लंबी अवधि के पचड़े मेंऔरऔर भी

नौकरियां बढ़ाने के लिए ओबामा का 447 अरब डॉलर का पैकेज दुनिया के बाजारों में चहक नहीं ला सका क्योंकि समयसिद्ध नियम है कि जब भी कोई अच्छी खबर आती है, निवेशक हमेशा बेचते हैं। यह भी कि यह पैकेज रातोंरात असर नहीं दिखा सकता। लेकिन इसने इतना तो साबित कर दिया कि व्हाइट हाउस मानता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है। इन हालात में दोतरफा बिकवाली होनी ही थी। जिन्होंने सुधार की उम्मीदऔरऔर भी