शुक्रवार को जब दुनिया भर के तमाम बाजारों के सूचकांक धांय-धांय गिर रहे थे, बीएसई सेंसेक्स 3.97 फीसदी और एनएसई निफ्टी 4.04 फीसदी गिर गया था, तब भारतीय शेयर बाजार का एक सूचकांक ऐसा था जो कुलांचे मारकर दहाड़ रहा है। यह सूचकांक है एनएसई का इंडिया वीआईएक्स जो यह नापता है कि बाजार की सांस कितनी तेजी से चढ़ी-उतरी, बाजार कितना बेचैन रहा, कितना वोलैटाइल रहा। जी हां, अमेरिका के एक और आर्थिक संकट से घिरऔरऔर भी

बाजार तलहटी पकड़ चुका है। निराशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। निवेशक फिलहाल स्टॉक्स से कन्नी काट रहे हैं। इनमें भी जो छोटे निवेशक हैं वे डेरिवेटिव सेगमेंट में मार्क टू मार्केट की अदायगी के लिए जो कुछ भी पास में है, उसे बेचे जा रहे हैं। मैं कल आम निवेशकों के मूड का पता लगाने के लिए गुजरात में तीन छोटी जगहों पर गया था। मैंने पाया कि यह बात उनके मन में कहीं गहरेऔरऔर भी

देश में वोलैटिलिटी इंडेक्स की शुरुआत के करीब दो साल बाद पूंजी बाजार नियामक संस्था सेबी ने इस इंडेक्स पर आधारित डेरिवेटिव सौदों यानी फ्यूचर व ऑप्शन (एफ एंड ओ) की भी इजाजत दे दी है। लेकिन शर्त यह है कि ऐसा उसी वोलैटिलिटी इंडेक्स में हो सकता है जो कम से कम एक साल से चल रहा हो। अभी वोलैटिलिटी इंडेक्स केवल नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ही चला रहा है। इसका नाम इंडिया वीआईएक्स है औरऔरऔर भी