हमारी 57% जमीन भूकंप के प्रति संवेदनशील ज़ोन में आती है और देश की दो-तिहाई आबादी इन्हीं इलाकों में रहती है। देश के 27 शहरों की आबादी दस लाख या इससे अधिक है और हमारी कुल शहरी आबादी का करीब 25% हिस्सा इन्हीं शहरों में रहता है। पिछले कुछ सालों में सामाजिक-आर्थिक वजहों से शहरों पर बोझ बढ़ता गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री विलासराव देशमुख का कहना है कि भूकंप के खतरों को कम करने के प्रयासऔरऔर भी

30 जून 2011 तक देश के 6,01,625 गांवों में से 1,69,201 यानी 28 फीसदी से ज्यादा गांवों तक ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है। भारत निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र सरकार का लक्ष्य देश की सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों को साल 2012 तक ब्रॉडबैंड से जोड़ देने का है। अभी तक इनमें से 1,33,712 पंचायतों तक ब्रॉडबैंड सुविधा पहुंचाई जा चुकी है। साथ ही ग्रामीण वायरलेस ब्रॉडबैंड स्कीम के तहत 2,88,454 ब्रॉडबैंड कनेक्शन दिए गए हैं। सरकारी कंपनीऔरऔर भी

साल 2021 तक भारत में महानगरों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा होगी और हर महानगर में एक करोड़ से ज्यादा लोग रह रहे होंगे। अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ऐसा मानता है। वहीं, भारत सरकार की जनगणना के मुताबिक भी बीते एक दशक में गांवों से तकरीबन 10 करोड़ ने पलायन किया है, जबकि निवास स्थान छोड़ने के आधार पर 30 करोड़ 90 हजार लोगों ने अपना निवास स्थान छोड़ा है। योजना आयोग के मुताबिक 1999-2000 में अप्रवासीऔरऔर भी

देश के सारे गांवों को साल 2015 तक मोबाइल बैंकों से जोड़ देने की योजना है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रबर्ती के मुताबिक अगले पांच सालों में हर गांववासी को वित्तीय सेवाओं के दायरे में शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने रविवार को वाराणसी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। बता दें कि अभी देश की वयस्क आबादी के केवल 40 फीसदी हिस्से तक बैंकिंग सेवाएं पहुंच सकी हैं। श्री चक्रबर्ती नेऔरऔर भी

हर गांव में बनाए जाएंगे दलहन के फाउंडेशन बीजों के लघु गोदाम। आधा एकड़ खेत के लिए बीज की आपूर्ति आधे दाम पर की जाएगी। सरकार की कोशिशें कामयाब हुईं तो आनेवाले सालों में रोटी के साथ दाल भी मयस्सर हो सकती है। देश में दाल की कमी और उसकी बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार सारे विकल्पों को आजमाने में जुट गई है। इसके तहत पहले दलहन ग्राम और अब बीज ग्राम बसाने की योजना पर अमलऔरऔर भी