फालतू संचय
2010-11-17
हम घरों के कोने-अँतरों में छोटी-बड़ी तमाम चीजों को बचाकर रखने के आदी हो गए हैं। सोचते हैं कि क्या पता, कभी काम आ जाए, जबकि सोचना चाहिए कि क्या इसके बिना हमारा काम चल सकता है।और भीऔर भी
हम घरों के कोने-अँतरों में छोटी-बड़ी तमाम चीजों को बचाकर रखने के आदी हो गए हैं। सोचते हैं कि क्या पता, कभी काम आ जाए, जबकि सोचना चाहिए कि क्या इसके बिना हमारा काम चल सकता है।और भीऔर भी
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