उम्मीद के मुताबिक एक और उतार-चढ़ाव से भरा दिन। सेंसेक्स बंद तो हुआ 24 अंक बढ़कर, लेकिन दिन भर में इसने 295 अंकों की पेंग भरी। वैसे, आज के स्टार परफॉर्मर रहे – हीरो होंडा और इस्पात इंडस्ट्रीज। इन दोनों की शिनाख्त में हम सबसे आगे रहे हैं। इस्पात ने कहानी को मुकाम पर पहुंचाने में पूरे बारह महीने लगा दिए। लेकिन हम खुश हैं क्योंकि इस स्टॉक ने 30 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया हैऔरऔर भी

पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति ने टाटा स्टील को साफ तौर पर कहा है कि झारखंड के कोयला समृद्ध क्षेत्र में प्रस्तावित उसकी इस्पात संयंत्र परियोजना को तब तक मंजूरी नहीं दी जाएगी जब तक उसे कोयला मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल जाती। ताप बिजली व कोयला खदान परियोजना के पर्यावरण प्रभाव को परखने के लिए बनी विशेषज्ञ आकलन समिति ने हाल ही में एक बैठक में यह शर्त रखी है कि टाटा समूह की कंपनी कोऔरऔर भी

आम के सीजन में आंधी आने पर हम बाग में दौड़-दौड़ कर जमीन पर गिरे फलों को बोरे में भर लिया करते थे। लेकिन न तो अब वो जमाना रहा और न ही शेयर बाजार किसी गांव के आम के बाग की तरह है जहां आंधी-तूफान में गिरा हर फल मीठा होता है। यहां तो हर हर स्टॉक को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे हर तरफ से जांच कर ही उठाया जाना चाहिए। इधर बहुत सारे शेयर खटाखट 52 हफ्तोंऔरऔर भी

बाजार (सेंसेक्स) खुला मुहूर्त से करीब 37 अंक बढ़कर, मगर बंद हुआ 152.58 अंक की गिरावट के साथ 20,852.38 पर जाकर। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं। यह सब कुछ नहीं, बस मछली पकड़ने के जाल जैसा काम है। जाल को नीचे तक ले जाओ ताकि और मछलियां पकड़ में आ जाएं। बाजार अब पूरी तरह नियंत्रण में है और उतार-चढ़ाव इसलिए लाए जा रहे हैं ताकि आप यहां से वहां तक झूल, या कहें तो झूमऔरऔर भी

बाजार पर नाहक ही तेजी का सुरूर चढ़ा हुआ है। मेरा सुझाव है कि ट्रेडरों को इस सेटलमेंट में तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है जब बाजार में करेक्शन नहीं आ जाता। फिलहाल करेक्शन इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि ट्रेडर अब भी हर बढ़त पर शॉर्ट हुए जा रहे हैं। इस दौरान अगर शॉर्ट सेल भी होती है तब भी आपको अफरातफरी मचाने की जरूरत नहीं है। बाजार खुद को करेक्शन के बिना सेंसेक्स केऔरऔर भी

डीलर, ट्रेडर और ब्रोकर अपनी स्क्रीन रीडिंग के आधार पर बाजार का रुझान तय करते हैं। स्क्रीन तो दिखा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से एफआईआई की खरीद नदारद है। इसलिए बाजार नीचे फिसल रहा है और करेक्शन के लिए तैयार है। उनकी स्क्रीन रीडिंग से मुझे कोई इनकार नहीं। लेकिन यह अल्पकालिक तरीका है क्योंकि बाजार में अगर दो बजे खरीद शुरू होती है तो यही लोग इस तरह के सिद्धांत गढ़नेवाले अपने गुरुघंटालों काऔरऔर भी

पिछले तीन महीनों में वीसा स्टील का शेयर 45 रुपए से करीब 15% घटकर 38 रुपए के आसपास आ गया है। 7 अप्रैल 2010 को यह ऊपर में 45.80 और नीचे में 43.70 तक जाने के बाद 44.15 रुपए पर बंद हुआ था। कल 7 जुलाई 2010 को इसका बंद भाव बीएसई में 38.55 और एनएसई में 38.40 रुपए रहा है। सवाल उठता है कि क्या ढलान पर लुढकते इस शेयर से पैसा बनाया सकता है? जानकारऔरऔर भी

जब आप दुखी होकर बताते हैं कि बजाज हिंदुस्तान का शेयर ठीक से नहीं चला और नतीजतन नुकसान उठाना पड़ा, तब हमें आपकी ट्रेडिंग के तरीके को लेकर अफसोस होता है। एक बात हमेशा ध्यान रखे कि ए ग्रुप की ट्रेडिंग कोई विज्ञान नहीं है और उद्योग के महारथी तक इसमें घाटा उठाते हैं। इसलिए इसमें हमेशा स्टॉप लॉस लगाकर चलना चाहिए। लेकिन हमें इससे भी ज्यादा अफसोस तब होता है जब आप श्राडेर डंकन जैसे स्टॉकऔरऔर भी

एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) का बड़ा सीधा-सा हिसाब-किताब है। देश की सबसे बड़ी खनन कंपनी है। 90 फीसदी पूंजी सरकार की लगी है। एलआईसी ने 5 फीसदी लगा रखा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने केवल 0.15 फीसदी लगा रखा है। बाकी अन्य निवेश संस्थाओं और जनता-जनार्दन के पास है। लेकिन इस जनता-जनार्दन के पास इसके केवल 1.18 फीसदी शेयर हैं। यानी, पब्लिक की कंपनी में पब्लिक ही नदारद है! आपको याद होगा कि इस सालऔरऔर भी

इसमें कोई शक नहीं कि जब बाजार गिर रहा हो, तब आपको कुछ भी बताना बेकार है। वैसे भी, आप अपनी राय-विचार के लिए मीडिया व टीवी रिपोर्टों पर ही पूरी तरह निर्भर रहेंगे और कभी भी शेयर बाजार में निवेश नहीं करेंगे जबकि वह खुद बांहें पसारे आपको बुला रहा है, सस्ते भावों पर खरीद का मौका दे रहा है। इसलिए मैं तो आपसे कहूंगा कि इंतजार करो और देखते रहो। हां, जिन्हें मुझ पर भरोसाऔरऔर भी