एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम ने हमें ऐसे मुकाम पर ला खड़ा किया है जहां से गिरावट की गहरी फिसलन का अंदेशा बढ़ गया है। ग्रीस के ऋण संकट को हमने कभी तवज्जो नहीं दी। लेकिन अमेरिका में अगर ऋण अदायगी में चूक हुई तो अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज उसे डाउनग्रेड कर सकती है। इससे अमेरिकी शेयर बाजार में 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है और यकीनन इससे भारतीय शेयर बाजार का सारा मिजाज भीऔरऔर भी

वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (डब्ल्यूएसए) के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े स्टील उत्पादक देशों में भारत को पीछे छोड़कर अमेरिका तीसरे नंबर पर आ गया है। साल 2010 की स्थिति के मुताबिक भारत 683 लाख टन की क्षमता के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है, जबकि अमेरिका का स्टील उत्पादन इससे ज्यादा 805 लाख टन रहा है। रूस 669 लाख टन के साथ दुनिया का पांचवां बड़ा स्टील उत्पादक है। 2009 तक अमेरिका भारतऔरऔर भी

मैंने आपसे कहा था कि मंदड़ियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और आप खुद देख रहे हैं कि सेटलमेंट की समाप्ति के ठीक पहले तेजड़ियों ने मंदड़ियों को कैसा धर दबोचा है। बाजार के एक बड़े उस्ताद एसबी (शरद बोबदा) के बारे में सुना गया है कि आज उन्होंने सबसे पहले निफ्टी में शॉर्ट सौदे काटे। दूसरों का अभी उनके पीछे चलना बाकी है। 5530 पर प्रतिरोघ का बहुत तगड़ा स्तर था। लेकिन निफ्टी इसे तोड़कर 5552.65औरऔर भी

बाजार पूरे लहरिया अंदाज में चला। सेंसेक्स हल्का-सा गिरा। निफ्टी हल्का-सा बढ़ा। यह फर्क है सेंसेक्स के 30 और निफ्टी के 50 का। इसलिए आवाजें उठ रही हैं कि कम से कम सेंसेक्स का आधार बढ़ा दिया जाए क्योंकि वो बाजार का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता। सेंसेक्स में कम से कम 100 कंपनियां तो होनी चाहिए। खैर, फिलहाल बाजार में शोर है कि निफ्टी 4800 की तरफ जा रहा है। जब तक बिकवाली की लहर उतरती नहीं,औरऔर भी

रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बराबर बढ़ा रहा है, फिर भी मुद्रास्फीति पर लगाम नहीं लग रही। हां, इससे आर्थिक विकास की रफ्तार पर जरूर लगाम लगती दिख रही है। बाजार को यह कतई पसंद नहीं और वो किसी न किसी बहाने लार्सन एंड टुब्रो, इनफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), एसबीआई व मारुति सुजुकी जैसी ऊंची विकास दर वाली कंपनियों को भी लपेटे जा रहा है। रिलायंस का स्टॉक दो साल के न्यूनतम स्तर पर आ चुका है।औरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का आखिरी दिन। एक्सायरी का दिन। कल 78,000 करोड़ रुपए का रोलओवर हुआ और इस महीने का ओपन इंटरेस्ट था 76,000 करोड़ रुपए। अब तक किसी भी सेटलमेंट के लिए ये सबसे बुरे आंकड़े हैं। इस 78,000 करोड़ रुपए के रोलओवर में जुलाई के ऑप्शंस ट्रेड की भी काफी रकम शामिल है जो  इन आंकड़ों को और खोखला कर देती है। इन आंकड़ों में बदतर हालात की आहट है। वैसे, यहां से बाजारऔरऔर भी

सिर्फ बाजार भाव से नहीं पता चलता है कि कोई शेयर सस्ता है या नहीं। भाव बढ़ जाने के बावजूद वह सस्ता हो सकता है या महंगा। इसका पता इससे चलता है कि उसके मूल्यांकन का स्तर क्या है। और, मूल्यांकन का पैमाना है पी/ई अनुपात। यानी, बाजार भाव को उसके सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) से भाग देने पर निकला अनुपात। आप कहेंगे कि यह तो अलग-अलग कंपनियों की बात हुई। कंपनियों के किसी सेट काऔरऔर भी

डीएमके के छह मंत्रियों का केंद्र सरकार से बाहर निकलना एक नौटंकी है जो सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की रजामंदी से रची जा रही है। सारे मंत्रियों के हटने के बावजूद यूपीए सरकार को डीएमके का बाहर से समर्थन जारी है, जारी रहेगा। इसलिए केंद्र सरकार के वजूद को कोई खतरा नहीं है। हां, संसद के भीतर समीकरण थोड़े जरूर बदल जाएंगे। डीएमके के 18 सांसद जाएंगे तो मुलायम की समाजवादी पार्टी के 22 सांसद सरकार को मिलऔरऔर भी

टाटा मेटलिक्स का शेयर कल बीएसई (कोड – 513434) में 4.32 फीसदी और एनएसई (कोड – TATAMETALI) में 3.80 फीसदी बढ़ा है। अभी 131 रुपए के आसपास चल रहा है। बीते तीन महीनों के दौरान वह 162 रुपए तक जाकर नीचे में 121 रुपए तक गया है। पिछले 52 हफ्ते में 167 रुपए का उच्चतम स्तर उसने इसी साल 26 अप्रैल को हासिल किया था। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 23.77औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी जनवरी-मार्च तिमाही में लौह अयस्क (आइरन ओर) की कीमतों में तीन फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। इससे जेएसडब्ल्यू, एस्सार और टाटा स्टील जैसी इस्पात कंपनियां दाम बढ़ाने को प्रोत्साहित हो सकती हैं। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रेस्ट के अनुसार कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘एनएमडीसी जनवरी से लौह अयस्क की कीमतें तीन फीसदी तक बढ़ा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने और वैश्विकऔरऔर भी