निफ्टी को आज बाधा का सामना कर पड़ सकता है। पहली बाधा 5970 पर है। वहां भी क्लेश खत्म नहीं होगा। 6000 तक पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए आज करेक्शन या गिरावट का अंदेशा है। फिर भी अगर निफ्टी 6000 का स्तर पार कर गया तो अगली बाधा उसे 6025 पर झेलनी पड़ेगी। अगले हफ्ते मंगलवार को रिजर्व बैंक बताएगा कि वह देश में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए ब्याज दरों को घटाना सही मानता हैऔरऔर भी

निफ्टी हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 1.41 फीसदी बढ़कर 5940 का स्तर तोड़ चुका है। इसलिए अगर कुछ अघट नहीं हुआ तो अब उसे 6000 का लक्ष्य भेदने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। हालांकि इसे 5970 पर तगड़ी बाधा का सामना करना पड़ा। फिलहाल माहौल में आशावाद है। रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भी तस्दीक कर दी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंडराते बादल छंट चुके हैं और अगले साल हमारी आर्थिक विकास दर 7 फीसदी से ऊपरऔरऔर भी

बुधवार को बाजार सुबह से बढ़ना शुरू हुआ तो शाम तक बढ़ता ही गया। इसमें देश की किसी घटना, वाकये या फैसले का नहीं, बल्कि विदेशी स्थितियों का योगदान था। अमेरिका के डाउ जोन्स सूचकांक का अब तक की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचना बहुत बड़ी बात है। यूरोप में भी शेयर बाजार 2008 के क्रैश के बाद नई ऊंचाई पर हैं। ऐसे खुशनुमा माहौल में आज भी तेज़ी के बने रहने का अनुमान है। हालांकि मामलाऔरऔर भी

जिस तरह अमेरिका के डाउ जोन्स सूचकांक ने मंगलवार को 2007 का भी उच्चतम स्तर तोड़कर नई ऊंचाई बनाई है, उससे तो यही लगता है कि अपने यहां भी आज रुख बढ़ने का रहेगा। फिलहाल 19 मार्च को रिजर्व बैंक क्या करता है, इसको लेकर कयास शुरू हो गए हैं। ब्याज दर घटने की पक्की उम्मीद जताई जा रही है।  ऊपर से अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंक क्रेडिट सुइस ने भारत को एशिया के चार सबसे सस्ते शेयर बाज़ारोंऔरऔर भी

अगले दो हफ्ते तक बाजार में कमोबेश शांति का दौर चलेगा। इस दौरान बाजार जमने की कोशिश करेगा। बजट के दिन जितना वो नीचे चला गया था, शायद उससे नीचे अब नहीं जाएगा। बाज़ार का यूं गिरना निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। विदेशी निवेशक मॉरीशस के पते पर सरकार की सफाई के बाद फिर से खरीदारी करने लगे हैं। बजट के दिन उन्होंने शुद्ध रूप से 1274.60 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे, वहीं शुक्रवार कोऔरऔर भी

बजट में अर्थव्यवस्था या निवेश संबंधी ऐसा कुछ नहीं था कि शेयर बाजार दोपहर तक ठीकठाक बढ़त के बाद यूं धड़ाम हो जाता। एक करोड़ रुपए से ज्यादा आमदनी वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाना कोई अनहोनी तो है नहीं। फिर भी निफ्टी 1.79 फीसदी की गिरावट के साथ 5693 पर पहुंच गया। असल में गिरावट की असली वजह है तथाकथित विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली। बजट में प्रावधान है कि एफआईआई को टैक्स से बचनेऔरऔर भी

अगर वित्त वर्ष 2013-14 के बजट प्रावधानों को सरसरी निगाह से भी देखा जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि यह बजट देश के लोगों या आम मतदाताओं को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि विदेशी निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों को लुभाने के लिए लाया गया है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कई महीनों से दबाव बना रखा था कि अगर सरकार ने अपने वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त नहीं किया तोऔरऔर भी

सरकार ने शेयर बाजार को बढ़ावा देने के लिए इक्विटी फ्यूचर्स पर सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) 0.017 फीसदी से घटाकर 0.01 फीसदी कर दिया है। लेकिन कैश सेगमेंट या डिलीवरी वाले सौदों पर एसटीटी की मौजूदा दर 0.10 फीसदी को जस का तस रखा गया है। जानकार मानते हैं कि इससे शेयर बाज़ार में वास्तविक निवेश की जगह सट्टेबाज़ी को बढ़ावा मिलेगा। वैसे भी इस समय कैश सेगमेंट का कारोबार डेरिवेटिव सौदों के आगे कहीं नहीं टिकता।औरऔर भी

सरकार नए निवेशकों को शेयर बाजार में खींचने के लिए बेताब है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम को और आकर्षक बना दिया है। अभी तक इस स्कीम में वे लोग ही निवेश कर सकते हैं, जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपए या इससे कम है। लेकिन नए वित्त वर्ष 2013-14 से यह सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दी गई है। साथ ही अभी तक नियम यह है कि इस स्कीम काऔरऔर भी

लॉटरी खेलनेवाले के कपड़े उतर जाते हैं, बचा-खुचा भी बिक जाता है। लेकिन लॉटरी खिलानेवाला हमेशा चांदी काटता है। इसी तरह शेयर बाज़ार में कानाफूसी और टिप्स पर चलनेवाले कंगाल हो जाते हैं, लेकिन इन टिप्स और कानाफूसियों को चलानेवाले हमेशा मौज करते हैं। शेयर बाजार में स्वार्थी तत्वों या साफ कहें तो ठगों का बड़ा गैंग बैठा है जो टिप्स का जाल फेंककर हम-आप जैसी छोटी मछलियों का शिकार करता है। हमें उनकी बातों के बजायऔरऔर भी