वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इस बार का बजट अभूतपूर्व होगा। वाकई नए वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कम से कम इस मायने में अभूतपूर्व है कि वित्त मंत्री ने अपने एक घंटे 50 मिनट के भाषण में एक बार भी डिफेंस का जिक्र नहीं किया और न ही बताया कि इस बार प्रतिरक्षा पर कितना खर्च किया गया और उसे कितना बढ़ाया जाएगा। वह भी तब पाकिस्तान बराबर कश्मीर में उपद्रव मचाए हुएऔरऔर भी

हर खासो-आम यही तलाशने में लगा है कि उसे बजट 2012-13 से क्या मिला। कंपनियों और धंधे वालों की बात अपनी जगह है। लेकिन अगर हम नौकरीपेशा लोगों की बात करें तो आयकर के नए प्रावधानों का सबसे ज्यादा फायदा साल भर में आठ से दस लाख कमानेवालों को होगा। बजट में आयकर छूट की सीमा 1.80 लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए सालाना कर दी गई है। हालांकि संसदीय समिति ने इसे तीन लाख करनेऔरऔर भी

भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से बचाव की मुद्रा में आई यूपीए सरकार अब देश के गरीबों को पटाने में लग गई है। गुरुवार को कैबिनेट ने गरीब बुजुर्गों और बीड़ी मजदूरों पर करीब 3081 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने का फैसला किया है। इसमें गरीब बुजुर्गों पर 2770 करोड़ और बीड़ी मजदूरों पर 311 करोड़ रुपए खर्च होंगे। हालांकि इन दोनों लोकलुभावन कदमों का प्रस्ताव वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इसऔरऔर भी

जल्दी ही देश के बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों को टैक्स-रिटर्न भरने के झंझट से निजात मिल जाएगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष 2011-12 का आम बजट पेश करते हुए यह घोषणा की। उनका कहना था कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जल्दी ही ऐसे नौकरीपेशा करदाताओं की श्रेणी घोषित करेगा जिन्हें आयकर रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि उनका टैक्स तो नियोक्ता द्वारा टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के जरिए पहले ही अदाऔरऔर भी