1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम के दमन के बाद ब्रिटिश राज को महफूज़ रखने के लिए सीआरपीसी की धारा-144 बनाई गई थी। अंग्रेज सरकार का मानना था कि जब पांच से ज्यादा लोग इकठ्ठा ही नहीं हो सकेंगे तो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्या खाक करेंगे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन आंदोलन के खिलाफ इसका जमकर इस्तेमाल हुआ। लेकिन गुलाम भारत का यह निषेधाज्ञा कानून आज़ाद भारत की लोकतांत्रिक सरकार ने भी बनाए रखा है। दारूऔरऔर भी

सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार गांधीवादी विरोध के तौरतरीकों को पचा नहीं पा रही है। यही वजह है कि उसने गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे को जंतर मंतर पर कल (बुधवार) को एक दिन विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी। हज़ारे अब टकराव को टालने के लिए महात्मा गांधी की समाधि, राजघाट पर पर अनशन करेंगे। यह घोषणा हज़ारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी ने की। साथ ही उन्होंने जोर देकरऔरऔर भी