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rock

like feather or rock

पंख-सा हल्का या चट्टान-सा भारी

2019-05-19
By: अनिल रघुराज
On: May 19, 2019
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

karma and creeper

किस्मत नहीं, कर्म निर्णायक

2019-04-16
By: अनिल रघुराज
On: April 16, 2019
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

difference in nature

अलग-अलग स्वभाव

2019-04-03
By: अनिल रघुराज
On: April 3, 2019
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

ultimate love

संपूर्ण प्यार की खातिर

2019-03-19
By: अनिल रघुराज
On: March 19, 2019
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

rock noise and classical music

रॉक के शोर से परे

2018-10-21
By: अनिल रघुराज
On: October 21, 2018
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

path

हर हाल में राह

2018-04-16
By: अनिल रघुराज
On: April 16, 2018
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

incomplete

अधूरे हैं तो इंसान हैं

2017-07-17
By: अनिल रघुराज
On: July 17, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

lightness of problems

चट्टान बन जाए हल्की

2016-07-28
By: अनिल रघुराज
On: July 28, 2016
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

not harsh-nor fragile

न भंगुर, न कठोर

2014-11-14
By: अनिल रघुराज
On: November 14, 2014
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

mountain or small rock

पहाड़ नहीं, चट्टान

2013-09-10
By: अनिल रघुराज
On: September 10, 2013
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

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निवेश – तथास्तु

  • बगैर पारदर्शिता निवेश अंधेरे में छलांग!
    28 May 2023

    शेयर बाज़ार जितना ही पारदर्शी, शेयरों के भावों की खोज उतनी ही सटीक। बाज़ार को पारदर्शी बनाना सरकार और पूंजी बाज़ार की नियामक संस्था, सेबी का दायित्व है, हमारा नहीं। हम जैसे आम निवेशक यहां आंदोलन करने नहीं आए। हमें तो कायदे के निवेश से काम भर का मुनाफा कमाकर संकरी गली से निकल लेना है। फिर भी सवाल तो उठता ही है कि तीन साल में अडाणी ग्रीन का शेयर 5000% से ज्यादा बढ़कर 55 से […]

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क्या आप जानते हैं?

  • अमृतकाल है या विश्वास का संकटकाल

    दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते हैं। सरकार का हर मंत्री झूठ बोलता …

अपनों से अपनी बात

  • साल में 41-112%, मिले है सिर्फ यहां!

    भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

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जानिए

  • ज़ीरो-सम गेम नहीं है यह
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  • जवाब कमोडिटी बाजार के

बूझिए

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  • गुत्थी ऋण बाजार की
  • यह कासा बला क्या है?

आज़माइए

  • मोटामोटी दस बातें शेयरों की
  • गोल्ड ईटीएफ एक, दाम अनेक
  • न करें कम एनएवी का लालच
  • फायदे म्यूचुअल फंड निवेश के

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