देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए सरकार के पास न तो गोदाम हैं और न ही भंडारण क्षमता बढ़ाने की कोई पुख्ता योजना। भंडारण की किल्लत से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) मुश्किलों का सामना कर रहा है। हर साल खुले में रखा करोड़ों का अनाज सड़ रहा है। इसके लिए सरकार अदालत की फटकार से लेकर संसद में फजीहत झेल चुकी है। लेकिन पिछले दो सालों से सरकार भंडारण क्षमता में 1.50 करोड़ टन की वृद्धि काऔरऔर भी

गेहूं की सरकारी खरीद और इसकी बर्बादी की तैयारी कर ली गई है। पहले से ही इफरात पुराने अनाज से भरे गोदाम एफसीआई की सांसत बढ़ाने वाले हैं। गेहूं की नई फसल के भंडारण के लिए गोदामों की भारी कमी है। रबी फसलों की बंपर पैदावार को देखकर खुश होने की जगह सरकारी एजेंसी एफसीआई के होश उड़ गये हैं। सुप्रीम कोर्ट से फजीहत झेलने के बावजूद खाद्य मंत्रालय ने पिछले दो सालों में मुट्ठी भर अनाजऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 26 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में घटकर चार महीने के निचले स्तर 9.18 फीसदी पर आ गई। इससे एक हफ्ते पपहले खाद्य मुद्रास्फीति की 9.50 फीसदी और एक साल पहले 21.15 फीसदी थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछली बार 27 नवंबर 2010 को समाप्त हुए सप्ताह में इस स्तर से नीचे थी, जब इसकी दर 8.69 फीसदी दर्ज की गई थी। जानकारों का कहना है कि इस साल जिस तरह का रिकॉर्डऔरऔर भी

फसल वर्ष 2010-11 (जुलाई-जून) में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 2358.8 लाख टन रहने का अनुमान है। सरकार का अनुमान है कि 2010-11 में गेहूं और दालों का उत्पादन अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाएगा। कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को राजधानी में आयोजित ‘खरीफ कांफ्रेंस’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘तीसरा अग्रिम अनुमान हमारे पास आ चुका है। इससे पता चलता है कि इस साल 2358.8 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन होगा, जो कि अबऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दो सप्ताह तक इकाई अंक में रहने के बाद खाद्य मुद्रास्फीति फिर दहाई अंक में पहुंच गई है। सब्जी, फल, अंडा और मछली जैसी चीजों के दाम बढ़ने से 12 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.05 फीसदी हो गई। इससे पिछले सप्ताह में यह 9.42 फीसदी थी और उससे पहले हफ्ते में यह 9.52 फीसदी थी। खाद्य मुद्रास्फीति में इस वृद्धि से सरकार और रिजर्व बैंक कीऔरऔर भी

आदिवासी इलाकों में स्थित राशन दुकानों में खराब खाद्यान्न दिए जाने का आरोप लगाते हुए वामपंथी दल सीपीएम ने इसकी जांच विशेष निगरानी एजेंसी से कराए जाने और गोदामों में पड़ा खाद्यान्न गरीबों में वितरित किए जाने की मांग की है। बता दें कि करीब सात महीने पहले अगस्त 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने खाद्यान्न के कुप्रबंधन पर केंद्र सरकार को लताड़ पिलाई थी और कहा था कि बरबाद हो रहा अनाज मुफ्त में गरीबों को बांटऔरऔर भी

हमारे नीति-नियामकों के लिए थोड़े सुकून की बात है कि तीन महीने बाद खाद्य मुद्रास्फीति की दर अब दहाई से इकाई अंक में आ गई है। 26 फरवरी को खत्म हफ्ते में इसकी दर 9.52 फीसदी दर्ज की गई है जबकि इसके ठीक पिछले हफ्ते में यह 10.39 फीसदी पर थी। इस तरह इनमें 87 आधार अंकों की कमी आ गई है। एक आधार अंक या बेसिस प्वाइंट का मतलब 0.01 फीसदी होता है। इन आंकड़ों सेऔरऔर भी

चावल, फल-सब्जियों व दूध के दाम बढ़ने से चार दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 0.86 फीसदी बढ़कर 9.46 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले सप्ताह यह 8.60 फीसदी थी। यह लगातार दूसरा हफ्ता है जब खाने-पीने की वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़ी है। नोट करने की बात यह है कि गुरुवार को रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा से आधे घंटे पहले ही खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए। इन आंकड़ोंऔरऔर भी

सरकारी गोदामों में सितंबर की शुरुआत में गेहूं चावल का 5.02 करोड़ टन का खाद्यान्न भंडार मौजूद था जो कि सरकारी बफर स्टॉक नियमों की तुलना में करीब दोगुना भंडार है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के ताजा आंकडों के अनुसार एक सितंबर 2010 को उसके गोदामों में 2.04 करोड टन चावल और 2.98 करोड टन गेहूं का भंडार मौजूद था। निर्धारित बफर स्टॉक नियम के अनुसार हर साल एक अक्तूबर को उसके गोदाम में गेहूं और चावलऔरऔर भी

सरकार ने पिछले वर्ष अक्तूबर से लेकर अभी तक 298.1 लाख टन चावल की खरीद की है जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में की गई खरीद के मुकाबले छह फीसदी कम है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य सरकारी एजेंसियों ने एक वर्ष पहले की समान अवधि में 315,7 लाख टन चावल की खरीद की थी। चावल की खरीद में गिरावट का कारण 2009-10 केऔरऔर भी