चीजें जो कल थीं, आज नहीं हैं। आज जैसी हैं, वैसी कल नहीं रहेंगी। परिवर्तन का यही नियम है। यही जीवन है। इसलिए कल से चिपके रहने या आज को लेकर रोते रहने का कोई मतलब नहीं। सबक लो, बढ़ते चलो। यही सही है और उचित भी।और भीऔर भी

विचार आग से निकली चिनगारियों की तरह हैं। उड़ते हैं, मिट जाते हैं। पकड़कर नहीं रख सके तो क्या पछतावा! जरूरी यह है कि जिस आग से वो निकली है, उसे बचाकर रखा जाए। वो सलामत रही तो विचार शब्द बदल-बदलकर आते ही रहेंगे।और भीऔर भी

लोग आपको बारंबार कौआ साबित करने की कोशिश करेंगे। लेकिन आप हंस हो तो उसकी उज्ज्वल ठसक के साथ रहो। किसी का कहा दिल पर लोगे तो जमाने की ठगी का शिकार बन जाओगे और पछताओगे।और भीऔर भी