कंपनियों के विज्ञापन और नेताओं के बयान में ज्यादा फर्क नहीं होता। एक नेताजी बोले कि देश में अच्छे दिन आ गए। इसका सबूत है कि शेयर बाज़ार इतना चढ़ गया। लेकिन बाज़ार तो इसलिए बढ़ा है क्योंकि विदेशियों ने झटपट मुनाफा कमाने के लिए शुक्र से लेकर अब तक इसमें 6033.04 करोड़ डाले हैं, जबकि देशी संस्थाओं ने 1042.17 करोड़ निकाले हैं। विदेशी कमाएं, देशी लुटाएं तो अच्छे दिन कैसे? खैर, हम चलें गुरु की डगर…औरऔर भी

दुनिया तो गोल थी ही। बाज़ार भी अब ग्लोबल हो चला है। पुतिन द्वारा युद्ध की घोषणा से यूक्रेन में लामबंदी। चीन में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन घटकर आठ माह के न्यूनतम स्तर पर। ऐसे तमाम घटनाक्रम भारतीय शेयर बाज़ार के लिए उतनी ही अहमियत रखते हैं जितनी दिसंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर का घटकर 4.7% पर आ जाना। कोई कितनी खबरों के पीछे भागे! इसलिए भाव देखो, भावों का चार्ट देखो। अब वार मंगल का…औरऔर भी

पहले तय करें कि निकलना कहां है, फिर बाज़ार को देखें। जैसे ही निकलने का सबसे अच्छा भाव मिले, फौरन पोजिशन काट दें। यह है शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते वक्त प्रोफेशनल ट्रेडरों की आम रणनीति। यह कठिन-कठोर अनुभव और लौह अनुशासन की सीख है। वहीं नए ट्रेडर बाज़ार को वैसे देखते हैं जैसे कोई चूहा सामने आए सांप को देखता है। उसके हाथ-पैर फूल जाते हैं और वो सांप का निवाला बन जाता है। अब आगे…औरऔर भी