समय और खरहा
2011-03-04
समय हर जड़त्व से मुक्त कछुआ है। लेकिन हम जड़त्व से ऐसे घिरे हैं कि यथास्थिति नया कुछ करने से रोकती है। सोते-जागते खरगोश की तरह बढ़ते हैं हम। ठान लें तो समय से आगे निकल जाएं।और भीऔर भी
समय हर जड़त्व से मुक्त कछुआ है। लेकिन हम जड़त्व से ऐसे घिरे हैं कि यथास्थिति नया कुछ करने से रोकती है। सोते-जागते खरगोश की तरह बढ़ते हैं हम। ठान लें तो समय से आगे निकल जाएं।और भीऔर भी
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