भावों की भाषा हमारा एकमात्र औज़ार
हम राकेश झुनझुनवाला या एफआईआई नहीं जो अपनी खरीद से किसी शेयर को चढ़ा दें। न ही हम बैंकर, ब्रोकर या कंपनी प्रवर्तक हैं कि अंदर की खबरें घोषित होने से पहले हमारे पास पहुंच जाएं। हमारी सीमा है कि भावों की भाषा ही ट्रेडिंग का हमारा एकमात्र औजार है। इसे पढ़ने में माहिर हो जाएं और प्रायिकता के मद्देनज़र रिस्क-रिटर्न का सामंजस्य बैठा लें तो जीत हमारी। अन्यथा हारना हमारी नियति है। अब हफ्ता बजट का…औरऔर भी