हाथ में है बदलाव के चक्र की कमान
न ज़िंदगी में सब दिन एकसमान होते हैं, न अर्थव्यवस्था में। मजबूती और कमज़ोरी का छोटा-बड़ा चक्र बराबर चलता रहता है। ऐसे में संयत नज़रिए से काम करनेवाला इंसान ही सफल होता है। इसी तरह कंपनियां भी वही कामयाब होती हैं जो बदलाव के चक्र के हिसाब से अपनी नीतियों को संवारती रहती हैं। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी पेश है जो अर्थव्यवस्था के चक्र के चलते फिलहाल थोड़ा दबी है, लेकिन आगे चमकेगी ज़रूर…औरऔर भी