वॉरॆन बफेट दुनिया के सफलतम निवेशक हैं। लेकिन वे सबसे अमीर व्यक्ति नहीं हैं। इलोन मस्क 226.6 अरब डॉलर की निजी दौलत के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। लेकिन वे निवेशक कम और उद्यमी ज्यादा हैं। विद्युत कार निर्माता टेस्ला, रॉकेट निर्माता कंपनी स्पेस-एक्स और अब एक्स बन चुकी ट्विटर जैसी कई कंपनियों के मालिक हैं। दूसरे नंबर पर 175.1 अरब डॉलर की दौलत के साथ फ्रांस के बर्नार्ड आरनाल्ट हैं। वे भी एक उद्यमीऔरऔर भी

अपने शेयर बाज़ार में अच्छी कंपनियों की कमी नहीं। एक ढूंढो, हज़ार मिल जाती हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि लगभग सारी की सारी अच्छी कंपनियां हाथ से निकल चुकी हैं। उनके शेयर इस वक्त आसमान से बातें कर रहे हैं। इनमें से पांच-दस दिन की ट्रेडिंग तो की जा सकती है। लेकिन लम्बे समय के लिए इन्हें खरीदना फालतू का जोखिम उठाना है। जोखिम भी उठाओ और कायदे का रिटर्न भी न मिले तो क्या फायदा!औरऔर भी

शेयर बाज़ार के निवेशकों का साबका बार-बार ‘वैल्यू’ से पड़ता है। वॉरेन बफेट का मशहूर वाक्य है कि ‘प्राइस’ वो है जो आप देते हो और ‘वैल्यू’ वो है जो आप पाते हो। अंग्रेज़ी में पारंगत लोग भले ही इसका अर्थ और मर्म समझ लें। लेकिन हिंदी या अन्य भारतीय भाषाएं बोलने-समझने वाले लोगों को इसमें काफी दिक्कत होती है। प्राइस का अनुवाद कीमत, दाम या भाव हो सकता है और वैल्यू को हम मूल्य कह सकतेऔरऔर भी

इस साल शेयर बाज़ार कभी क्रैश हो गया तो? ऐसा नहीं होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। बढ़ता रहे तो बहुत अच्छा। लेकिन धसक गया तो? हमें इसकी तैयारी रखनी ही चाहिए। आंख-कान और दिमाग हमेशा खुला रखना होगा। साथ ही अभी तक के निवेश पर हासिल रिटर्न को कैसे बचा लिया जाए, इसका भी इंतज़ाम कर लेना पड़ेगा। हम जानते हैं कि बाज़ार टूटने पर सबसे ज्यादा माइक्रो-कैप, स्मॉल-कैप और मिड-कैप कंपनियों के शेयर टूटते हैं, जबकिऔरऔर भी

एक बात जान लें कि भारत की विकासगाथा को अगले 15-20 साल तक कोई आंच नहीं आने जा रही। घटिया से घटिया सरकार आ जाए, पर हमारे कॉरपोरेट क्षेत्र का बढ़ना तय है। इसलिए लम्बे समय में हमारे शेयर बाज़ार का कुलांचे मारना भी पक्का है। ध्यान रहे कि शेयर बाज़ार हमेशा लहरों में चलता है। कभी नीचे तो कभी ऊपर। नीचे गिरने पर खरीदना और ऊपर जाने पर मुनाफा निकाल लेना। कुशल ट्रेडर या निवेशक कीऔरऔर भी

देखते ही देखते पुराना साल बीता, नया साल आ गया। आइए देखें कि साल भर में हमारे शेयर बाज़ार ने कितना रिटर्न दिया। शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022 से शुक्रवार 29 दिसंबर 2023 के बीच निफ्टी-50 सूचकांक 20.03%, निफ्टी-500 सूचकांक 25.76%, निफ्टी मिड-कैप 50 सूचकांक 50.20%, निफ्टी स्मॉल-कैप 50 सूचकांक 64.26% और निफ्टी माइक्रो-कैप 250 सूचकांक 66.44% बढ़ा है। यह पैटर्न साफ दिखाता है कि कंपनियों का आकार या बाज़ार पूंजीकरण जितना छोटा होता गया, उनका रिटर्न उतनाऔरऔर भी

किसी कंपनी के शेयरों में निवेश तभी फलता-फूलता है जब उसके धंधे में बरक्कत होती है। ऐसा किसी निर्वात में नहीं, बल्कि देश और उसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था में होता है जिसकी खास कमान सरकार के हाथ में होती है। दिक्कत यह है कि सरकार इस समय सब्सिडी जैसे अनुत्पादक कामों को तवज्जो और शिक्षा, स्वास्थ्य व साफ-सफाई जैसे मदों की तौहीन कर रही है। उसे दरअसल सत्ता में बने रहने के लिए वोटों के जरिए जनता काऔरऔर भी

लोगबाग शेयर बाज़ार में इस तरह उमड़ पड़े हैं, जैसे बरसात में जलते बल्ब पर पतंगे टूट पड़ते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में डिमैट खातों की संख्या चार करोड़ हुआ करती थी। अब 13 करोड़ को पार कर गई है। हर महीने 20-30 लाख नए डिमैट खाते खुल रहे हैं। शेयर बाज़ार में पंजीकृत निवेशकों की संख्या 15 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। फिच जैसी रेटिंग एजेंसी कहने लगी है कि 2024 में मोदी की वापसीऔरऔर भी

शेयरों में निवेश कोई सीधी-साधी राह नहीं कि मुंह उठाकर चल पड़े। जिस भी कंपनी के शेयरों में निवेश कर रहे हैं, उसका बिजनेस ठोंक-बजाकर समझना होता है। अगर बिजनेस को नहीं समझा तो गलत दवा की तरह उसके बड़े खतरनाक साइड-इफेक्ट होते हैं। वैसे भी हमारा शेयर बाज़ार अब ग्लोबल हो चुका है। बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां लिस्टेड हैं। इसलिए बाहर की ऊंच-नीच भी कंपनियों को प्रभावित करती है। बड़े नाम व स्थापित धंधे केऔरऔर भी

लॉटरी की तरह आईपीओ में भी किस्मत का खेल चलता है। जिन लोगों मे हाल ही में इरेडा के आईपीओ में आवेदन डाला होगा, वे इस बात की तस्दीक करेंगे। यह आईपीओ कुल 38.80 गुना और रिटेल यानी दो लाख रुपए तक निवेश करनेवालों की श्रेणी में 7.73 गुना सब्सक्राइब हुआ। ऐसे में करीब आठ में से एक निवेशक को ही शेयर आंवटित होने थे तो इसका फैसला लॉटरी से हुआ। जिनको शेयर मिले, उनका धन कुछऔरऔर भी