एक्जिट पोल बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बाजी समाजवादी पार्टी के हाथ लगेगी। एशियाई बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। इन दोनों ही घटनाओं का बाजार पर थोड़ा असर हुआ। यूं तो समाजवादी पार्टी ने कहा है कि उसे कांग्रेस के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन यह सब राजनीतिक शोशेबाज़ी है। अगर वो 200 सीटों तक नहीं पहुंच पाती तो उसका काम कांग्रेस के बगैर नहीं चल सकता। वैसे भी एक्जिट पोलऔरऔर भी

महज 300 अंकों की मोटामोटी गिरावट ने ट्रेडरों की पैंट ढीली कर दी क्योंकि उन्हें ऑपरेटरों की पकड़वाले चंचल स्टॉक्स में अंदाज़ से कहीं ज्यादा मार्क टू मार्केट ढीला करना पड़ा। ऐसा होना ही था। ट्रेडर अब बैलेंसशीट के लिहाज से वापस निफ्टी के 5000 या 4700 वाले स्तर पर जा पहुंचे हैं। ऐसा एकदम योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। हम इस दौरान बराबर चौकन्ने रहे क्योंकि 5400 के ऊपर की रैली पूरी तरह जोड़तोड़ काऔरऔर भी

भारत सरकार आखिरकार सैन्य मामलों में घरेलू आधार को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। हम अभी तक विदेशी सैनिक हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर पर बहुत ज्यादा निर्भर है। खबरों के मुताबिक सरकार अब रक्षा से जुड़े सार्वजनिक उद्यमों (पीएसयू) और निजी कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम बनाने के नए दिशानिर्देशों को मंजूर करने जा रही है। मज़गांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) देश के चार डिफेंस शिपयार्ड में सबसे बड़ा है। उसके पास करीब 1,00,000 करोड़ रुपए केऔरऔर भी

उम्मीद के मुताबिक 5050 पर पहुंचकर निफ्टी की सांस फूलती नजर आई। जाने को वह सवा तीन बजे के आसपास ऊपर में 5064.15 तक चला गया। पर बंद हुआ 0.60 फीसदी की बढ़त के साथ 5048.60 पर। वैसे, यह अब भी 5140 तक जा सकता है। लेकिन अगर यह सीधे-सीधे वहां तक चला गया तो बाजार में लांग बने रहने का कोई तुक नहीं रहेगा क्योंकि करेक्शन के बिना कोई अच्छी चीज टिकती नहीं है। मेरा तर्कऔरऔर भी

ब्लूमबर्ग ने स्टोरी चलाई है कि अमेरिकी शेयर बाजार से संबद्ध स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) सूचकांक में तेजी आ रही है। यह विश्लेषण के आधार पर निकला निष्कर्ष है जो मीडिया अब पेश कर रहा है, जबकि हम तो आपको 2008 से ही समय-समय पर एस एंड पी में लक्ष्य देते रहे है। हमने अनुमान जताया था कि 1250 को पार करते ही एस एंड पी भागने लगेगा। अब ऐसा हो रहा है और हरऔरऔर भी

बाजार चंद ऑपरेटरों की मुठ्ठी में कैद है और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इन्हीं ऑपरेटरों की मिलीभगत से काम करते हें। इस बात को आधार बनाकर हमने जो कॉल्स पेश की हैं, उन पर एक नजर डालने से ही इसकी सत्यता साबित हो जाती है। एक तरफ एफआईआई ब्रोकरेज हाउस सार्वजनिक तौर पर कहते रहे कि बाजार सेंसेक्स को 13,000 की दिशा में लिए जा रहा है। दूसरी तरफ उनके निशाने पर चढ़े तमाम स्टॉक्स कैश सेटलमेंटऔरऔर भी

बाजार 5400 से गिरकर 4750 तक पहुंच गया। फिर अचानक उठकर 5050 के ऊपर। महीने भर में गोते और छलांग का यह खेल बखूबी चला। क्यों, कैसे? समझ में नहीं आता। एफआईआई ने तो पूरे नवंबर माह में 80 करोड़ डॉलर ही निकाले। इतनी रकम तो एक दिन में निकल जाया करती है। फिर ऐसी डुबकी क्यों? सवाल यह भी है कि क्या निफ्टी के पलटकर 5050 के ऊपर पहुंचने को नई तेजी का आगाज़ मान लियाऔरऔर भी

सेटलमेट का पहला दिन और इससे ज्यादा सन्निपात से भरा कोई और दिन हो ही नहीं सकता था। वोलैटिलिटी को दिखानेवाला इंडिया वीआईएक्स 4.18 फीसदी बढ़कर 29.12 पर जा पहुंचा। निफ्टी ऊपर में 4767.30 तक तो नीचे में 4693.10 तक। सांसें इतनी ऊपर-नीचे! हालांकि बाजार में थोड़ी-बहुत खरीद चालू हो चुकी है। फिर भी बाजार के उस्तादों ने बीते सेटलमेंट में जो गोटें सेट की हैं, उनके हिसाब से दिसंबर तक की लंबी अवधि के पचड़े मेंऔरऔर भी

कोई भी कह सकता है कि लगातार नौ सत्रों तक घाटा खाने के बाद सेंसेक्स का उठना लाजिमी था और इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद तो मरी हुई बिल्ली भी थोड़ा उछलती है। लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। जब कुछ भी सामान्य नहीं रहा तो बेचारे निवेशक गफलत में पड़ गए कि सब कुछ बाहर से आ रही बुरी खबरों का नतीजा है। तभी अचानक उन्हें अहसास होता है कि ऐसा नहीं था तो झटका लगनाऔरऔर भी

बाजार के बारे में इसके अलावा खास कुछ देखने-समझने को नहीं है कि इस समय हर किसी पर डर का घटाटोप छाया हुआ है। लोगबाग सेंसेक्स के 14,000 तक गिर जाने की बात कहने लगे हैं। एक अतिरेकवादी ने तो मुझे ई-मेल भेजा है कि सेंसेक्स 7500 तक चला जाएगा और मेरे पास बस मुस्कराने के अलावा इस पर कुछ कहने को नहीं था। रोलओवर के दौरान ऐसा होता है। अतिवादी सक्रिय हो जाते है। अफवाहें अपनेऔरऔर भी