पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खास अंदाज था कि वे देश की हर समस्या के पीछे विदेशी हाथ बता देती थीं। अब हमारे ताजा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी लगता है कि वही शॉर्टकट अपना लिया है। उन्होंने साइंस पत्रिका में शुक्रवार को छपे एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत में परमाणु संयंत्रों को लगाने के विरोध के पीछे अमेरिका के अ-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का हाथ है। आपको याद ही होगा कि महाराष्ट्र के जैतापुर केऔरऔर भी

भारत को परमाणु बिजली के क्षेत्र में झाड़ पर चढ़ाने की कोशिश हो रही है क्योंकि जब बाकी दुनिया परमाणु बिजली को तौबा कर रही है तब भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हैं जो इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का मंसूबा पाले हुए है और बाहर से परमाणु रिएक्टर आयात कर सकता है। लेकिन भारत में आम राय इसके खिलाफ न जाए, इसलिए ऐसा दिखाने की सायास कोशिश हो रही है कि भारत इसऔरऔर भी

जापान के परमाणु बिजली संयंत्रों में हो रहे धमाकों का असर जर्मनी में दिख रहा है। जर्मनी ने मंगलवार को अपने सात सबसे पुराने परमाणु रिएक्टरों को अस्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दे दिया। उसने जापान में परमाणु तबाही के बाद अपने सभी 17 परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद यह आदेश दिया। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पांच प्रांतों के मुखिया के साथऔरऔर भी