शेयर बाजार में सर्किट का खेला हर दिन चलता है। जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में 7 अप्रैल को 356 शेयरों पर सर्किट ब्रेकर लगा था, जिसमें से 274 पर अपर सर्किट और 82 पर लोअर सर्किट लगा हुआ था। सोमवार को शिवालिक बाईमेटल पर अपर सर्किट लगा तो बुधवार को कावेरी टेलिकॉम पर। शेयर कहीं ज्यादा उछल-कूद न मचाएं, इसके लिए हमारी पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने सर्किट लगाने का नियम बना रखा है। यहऔरऔर भी

देश के शेयर बाजारों में सूचीबद्ध 27 फीसदी कंपनियों में पिछले कई महीनों से कोई कारोबार नहीं हो रहा है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों के प्रवर्तक अपने शेयर पहले ही बेचकर निकल चुके हैं। लेकिन लाखों आम निवेशक इनमें से ऐसा फंसे हैं कि न उनसे उगलते बन रहा है और न ही निगलते। करोड़ों के इस गड़बड़झाले पर न तो सेबी का कोई ध्यान है और न ही कॉरपोरेट मामलात इसे तवज्जो दे रहा है। बॉम्बेऔरऔर भी

सरकार लिस्टेड कंपनियों में आम निवेशकों की शिरकत व हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बेचैन है। इस सिलसिले में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले साल जुलाई में ही बजट पेश करते वक्त ऐसी कंपनियों में आम निवेशकों या पब्लिक की शेयरधारिता कम से कम 25 फीसदी रखने का प्रस्ताव रखा था। इस पर अमल की तैयारियां तेज हो गई हैं। वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय के साथ के कानून मंत्रालय को भी हरकत में आना पड़ाऔरऔर भी

एक चैनल पर मैं उसी शख्स को देख रहा था जिसने दावा किया था कि निफ्टी 3800 तक गिर जाएगा। मैं उसका चेहरा देखता रह गया क्योंकि वो अब भी कह रहा था कि बाजार में कोई दम नहीं है, तेजी जल्दी ही पिघल जाएगी और अभी कुछ नहीं, बस शॉर्ट कवरिंग चल रही है और बाजार गिरावट के मुहाने पर खड़ा है। अब भी वह शख्स दावे के साथ कह रहा था कि 3800 नहीं तोऔरऔर भी

बाजार के ज्यादातर कारोबारी निफ्टी के 4950 से 5050 अंक के स्तर के बीच शॉर्ट सौदे करके फंस चुके हैं। इसलिए वे करेक्शन या गिरावट के पक्ष में हैं। जाहिर है उन्हें निफ्टी में १५० या इससे ज्यादा अंकों की गिरावट का इंतजार है। लेकिन यह भी सच है करेक्शन आपके चाहने पर कभी नहीं आता। हो सकता है कि मौजूदा सेटलमेंट तेजड़ियों के पक्ष में जाए क्योंकि निफ्टी में 5100 सीरीज के 75 लाख शेयरों औरऔरऔर भी

बजट ने यकीनन बाजार की प्रमुख चिंताओं का ख्याल रखा है। वित्त मंत्री सरकार की बाजार उधारी को 3.45 लाख करोड़ रुपए तक लाने में कामयाब रहे हैं, जबकि एनालिस्ट लोग 4.75 लाख करोड़ की उम्मीद कर रहे थे। यह भी वाकई चौंकानेवाली बात रही कि आयकर में रियायतें दी गई हैं। वह भी तब, जब सरकार को राजस्व जुटाने में मुश्किल आ रही है। सरकार के प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों से उसकी कर आमदनी में 26,000 करोड़औरऔर भी

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़े आ चुके हैं। दिसंबर में 16.8 फीसदी बढ़त के साथ इसने सोलह सालों का शिखर छू लिया है। भले ही यह छलांग वैश्विक मंदी के दौरान साल भर पहले इसी महीने में 0.2 फीसदी की गिरावट की तुलना में हो, लेकिन इसने हमारी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौट आने की पुष्टि कर दी है। सोमवार को बाजार खुलेगा तो इस खुशी का खुमार माहौल में छाया रहेगा। ऊपर से सोमवारऔरऔर भी