बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में करेक्शन का आना अपरिहार्य था। हम इसकी आशंका बराबर काफी समय से जताते रहे थे। यह झटका लगा और तब लगा जब वित्त मंत्रालय ने कह दिया कि वे आर्थिक प्रोत्साहन वापस लेंगे। लेकिन यह बाजार का अंत नहीं है। अब सारा ध्यान ऑयल, टेलिकॉम, गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के स्टॉक्स पर आ जाएगा। 80 नए स्टॉक्स में घोटाले की अफवाह सिटी बैंक की धोखाधड़ी से जोड़कर निकालीऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय ने आखिरकार आर्थिक प्रोत्साहन से कदम वापस खींचने का संकेत दे दिया है। यह बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के लिए नकारात्मक बात है। लेकिन पूरे बाजार के लिए यह अच्छी और सकारात्मक बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि सरकार के अनुसार आर्थिक विकास की स्थिति इतनी मजबूत हो चुकी है कि प्रोत्साहन जारी रखने की जरूरत नहीं है। तात्कालिक राजनीतिक मुद्दा अलग तेलंगाना राज्य का है। लेकिन यह मुद्दा बेदम होता दिख रहाऔरऔर भी

कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों के आने का सिलसिला बस शुरू ही होने को है। इसलिए शेयरों की नई खरीद-ब्रिकी का खेल अब ज्यादा दूर नहीं है। अग्रणी कंपनियों के अच्छे नतीजे और फिर उनके भावों का सही स्तर पर आना या करेक्शन होना हमारे पूंजी बाजार का नियमित पहलू है। कंपनियों की लाभप्रदता की कयासबाजी को लेकर सावधान रहिए। हम इसके बारे में आपको पहले से आगाह करना चाहते हैं। बाकी तो आप खुद हीऔरऔर भी

आयकर अपीली न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने नया आदेश जारी कर बोफोर्स के भूत को फिर से जिंदा कर दिया है। लेकिन समझ में नहीं आता कि 24 साल पुराना यह मामला जा कहां रहा है। आईटीएटी के बाद अब यह मसला बॉम्बे हाईकोर्ट में जाएगा और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में। तब तक रिश्वतखोरी के इस कांड से जुड़े सभी लोग स्वर्ग सिधार चुके होंगे। विन चड्ढा तो पहले ही दिवंगत हो चुके हैं। फिलहाल अहम सवाल यहऔरऔर भी

सिटी बैंक में 300 करोड़ रुपए की अनुमानित धोखाधड़ी का मुख्य अभियुक्त शिवराज पुरी लोगों व कंपनियों से जुटाई गई ज्यादातर रकम शेयर बाजार के डेरिवेटिव सौदों में लगाता था। गुड़गांव पहुंची सेबी की दो सदस्यीय टीम ने पुरी के निवेश के पैटर्न को जांचने के बाद यह पता लगाया है। इस बीच सोमवार को इस मामले में पुलिस ने हीरो समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी संजय गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। हीरो समूह की इकाई हीरोऔरऔर भी

2010 में बाजार से तेज रफ्तार से भागने वाले स्टॉक्स को भूल जाओ। वो साल पीछे छूट चुका है। अब तो साल 2011 में बाजार को पछाड़ने वाले नए दबंग स्टॉक्स बनेंगे। इस साल मंच संभालने वाले सेक्टर होंगे – इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल, चाय और फर्टिलाइजर। निफ्टी 5700 तक नीचे जाने के बाद वापस 6200 के करीब पहुंच चुका है जहां से उसकी नई ऊंचाई ज्यादा दूर नहीं है। आखिर निफ्टी इतनी तेजी से नई ऊंचाईऔरऔर भी

साल 2010 में 5700 से 6160 तक। यह रहा है साल के शुरू से लेकर अंत का निफ्टी का सफर। निफ्टी एक मुकाम हासिल कर चुका है। अब स्टॉक्स भी जनवरी 2011 में ऐसा करेंगे। आप स्क्रीन देखते हैं, बिलखते हैं और अपना हौसला खो बैठते हैं। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं। यह भारतीय बाजार के सिस्टम की नाकामी है। दिसंबर के सेटलमेंट में जिन स्टॉक्स के भावों में गिरावट आई, वे कभी सुधर करऔरऔर भी

जहां तक निफ्टी का ताल्लुक है, वह अब प्रतिरोध का स्तर तोड़ चुका है और 6500 अंक की तरफ बढ़ रहा है। आज का दिन जय जलाराम का हो गया लगता है। कहने का मतलब यह है कि फिजिकल सेटलमेंट के न होने के चलते बाजार चलानेवालों ने अपनी मनमर्जी से स्टॉक्स को नचाया है। हालांकि इसमें कुछ नया नहीं है। यह हमारे शेयर बाजार का दस्तूर बन चुका है। अभी बाजार में तूफान के पहले कीऔरऔर भी

मैने हाल ही में अखबार में एक लेख पढ़ा जिसमें बताया गया है कि 1.60 लाख करोड़ रुपए के बाजार में महज 250 करोड़ रुपए से किसी भी एफ एंड ओ (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) सौदे को नचाया जा सकता है। यह संभव भी लगता है। जरा गौर कीजिए। बाजार में कल तक का ओपन इंटरेस्ट 1.66 लाख करोड़ रुपए का था और इसमें से करीब एक लाख करोड़ रुपए निफ्टी के पुट व कॉल ऑप्शन के हैं।औरऔर भी

बॉम्बे डाईंग के साथ ऐसा क्या बुरा हो गया जो उसे इस सेटलमेंट में ठोंककर 575 रुपए से 458.75 रुपए तक पहुंचा दिया गया? आज भी यह 525.90 और 510.10 रुपए के बीच झूला  है। 2 दिसंबर से 10 दिसंबर के बीच तो इसे  575 रुपए से गिराकर 458.75 रुपए पर पटक दिया गया। इसके डेरिवेटिव के साथ भी यही हरकत हुई है। इस दरम्यान कंपनी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो उसके स्टॉक कोऔरऔर भी