सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 20 माह के न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर आ गई। लेकिन दूध, फल और अंडा, मांस व मछली जैसी जिन प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं का खास जिक्र दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक की समीक्षा में किया था, उनके दाम अब भी ज्यादा बने हुए हैं। साल भर की समान अवधि की तुलना में उक्त सप्ताह में फलऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति की दर 23 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में घटकर 8.53 फीसदी पर आ गई। लेकिन ईंधन व बिजली का सूचकांक इसी दौरान 13.53 फीसदी बढ़ गया। नतीजतन प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर दहाई अंक में 12.11 फीसदी पर डटी हुई है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार 14.34 फीसदी और ईंघन व बिजली का 14.91 फीसदी है। वैसे, तुलनात्मक रूप से देखें तो प्राथमिक वस्तुओं की महंगाईऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दो सप्ताह तक इकाई अंक में रहने के बाद खाद्य मुद्रास्फीति फिर दहाई अंक में पहुंच गई है। सब्जी, फल, अंडा और मछली जैसी चीजों के दाम बढ़ने से 12 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.05 फीसदी हो गई। इससे पिछले सप्ताह में यह 9.42 फीसदी थी और उससे पहले हफ्ते में यह 9.52 फीसदी थी। खाद्य मुद्रास्फीति में इस वृद्धि से सरकार और रिजर्व बैंक कीऔरऔर भी

हमारे नीति-नियामकों के लिए थोड़े सुकून की बात है कि तीन महीने बाद खाद्य मुद्रास्फीति की दर अब दहाई से इकाई अंक में आ गई है। 26 फरवरी को खत्म हफ्ते में इसकी दर 9.52 फीसदी दर्ज की गई है जबकि इसके ठीक पिछले हफ्ते में यह 10.39 फीसदी पर थी। इस तरह इनमें 87 आधार अंकों की कमी आ गई है। एक आधार अंक या बेसिस प्वाइंट का मतलब 0.01 फीसदी होता है। इन आंकड़ों सेऔरऔर भी

प्याज, आलू और दालों के दाम में नरमी आने से 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 10.39 फीसदी पर पर आ गई। हालांकि इस दौरान फल, दूध और सब्जियों की कीमतों में तेजी बनी रही। इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर 11.49 फीसदी पर थी, जबकि बीते साल 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में यह 21.62 फीसदी पर पहुंच गई थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताहऔरऔर भी