कुंडलिनी 2012-02-10 By: अनिल रघुराज On: February 10, 2012 In: ऋद्धि-सिद्धि ज्ञान आनंद की पहली कड़ी है। ज्ञान की आंधी के बिना भ्रम नहीं टूटता, माया का जाल नहीं छंटता। जाल नहीं छंटता तो कुंडलिनी नहीं जगती, सहस्रार कमल नहीं खिलता, हम आनंद विभोर नहीं होते।और भीऔर भी