इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जयप्रकाश एसोसिएट्स को 1380 मेगावॉट बिजली परियोजना के लिए जिले की करछना तहसील के छह गांवों में मिली 416 हेक्टेयर का आवंटन रद्द कर दिया, जबकि बारा तहसील में 1980 मेगावॉट बिजली परियोजना के लिए पांच गावों में 831 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को खारिज करने से मना कर दिया। हाईकोर्ट का यह फैसला बीते हफ्ते शुक्रवार को आया है। लेकिन राज्य में बदले राजनीतिक समीकरणों की रोशनी में इसे बहुत अहम माना जाऔरऔर भी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा जमीन अधिग्रहण मामले में एक अहम फैसले के तहत शुक्रवार को तीन गांवों में हुआ 3000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया। कोर्ट ने बाकी के गांवों के किसान को 64 फीसदी ज्यादा मुआवजा देने और विकसित जमीन का 10 फीसदी हिस्सा देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने पिछले 30 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुएऔरऔर भी

टीम अण्णा देश में जन आंदोलन की नई तैयारी में जुट गई है। इस सिलसिले में अण्णा हज़ारे के गांव रालेगण सिद्धि में उनका दो दिन का जमावड़ा शनिवार से शुरू हो गया। पहले दिन की बैठक में तय हुआ है कि भूमि अधिग्रहण, चुनाव सुधार, जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने और उन्हें खारिज करने के अधिकार समेत सांसदों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा कराने के संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखेंगे। भूमि अधिग्रहण जैसे संवेदनशीलऔरऔर भी

एक तरफ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती कह रही हैं कि भूमि अधिग्रहण पर उनकी नीति हरियाणा सरकार से भी अच्छी है और केंद्र सरकार तक को इसे अपना लेना चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ किसानों को इससे अपनी सांसत बढ़ने का अंदेशा है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस रामचंद्रन पिल्लई ने कहा है कि माया सरकार द्वारा भट्टा-परसौल काण्ड के बाद अपनाए गए निदान से किसान खुश नहीं हैं। वे इसे भी सरकार द्वाराऔरऔर भी

उड़ीसा में लगभग 52,000 करोड़ रुपए की लागत वाली पॉस्को स्टील परियोजना के लिए स्थानीय लोगों के सहयोग से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है। गांव वालों ने अपना विरोध मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद वापस ले लिया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (पारादीप) सरोजकांत चौधरी ने बताया, ‘‘दो दिन के अंतराल के बाद, कल शुरू हुई भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, पोलंगा, बायानाला और नोलियासाही गांव के लोगों के सहयोग सेऔरऔर भी

दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को को भारत की जमीन पर पैर रखने में बराबर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। काफी रगड-धगड़ के बाद उड़ीसा में उसकी प्रस्तावित इस्पात परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी मिली तो राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया। लेकिन शुक्रवार को भूमि अधिग्रहण के इस काम में खलल पड़ गया। ग्रामीणों ने 52,000 करोड़ रुपए की इस परियोजना के लिए अपनी जमीन के अधिग्रहण केऔरऔर भी

केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के ताजा निर्णय से दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पॉस्को की उड़ीसा परियोजना का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। लेकिन उड़ीसा सरकार को विश्वास है कि 52,000 करोड़ रुपए की यह परियोजना किसी न किसी दिन परवान जरूर चढ़ेगी। पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए वन संबंधी मंजूरी को रोक दिया है। उड़ीसा के इस्पात व उद्योग मंत्री रघुनाथ मोहंती का मानना है कि पॉस्को की यहऔरऔर भी

रासायनिक उर्वरक बनानेवाली कंपनी जुआरी इंडस्ट्रीज ने कर्नाटक में सालाना 13 लाख टन क्षमता वाले गैस अधारित यूरिया संयंत्र लगाने के लिए जमीन खरीदनी शुरू कर दी है। इस संयंत्र पर 5000 करोड़ रुपए के निवेश की योजना है। कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष एच एस बावा ने दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि कंपनी को कर्नाटक सरकार से परियोजना शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। बेलगाम जिले में इसके लिए भूमि खरीदने की शुरुआत हो गईऔरऔर भी

भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) के प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए महाराष्ट्र के जैतापुर में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है और गुजरात में ऐसे ही एक अन्य संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायण सामी ने बुधवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम के प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए महाराष्ट्र केऔरऔर भी