लंबे समय में शेयरों के भाव कंपनी के फंडामेंटल्स से तय होते हैं। लेकिन छोटे समय में न तो ये बदलते हैं और न ही इनकी खास अहमियत होती है। छोटे समय में सबसे ज्यादा अहम है जोखिम से बचने या रिस्क अवर्जन की मनःस्थिति। इसे नापने का बाकायदा गणितीय फॉर्मूला है। ट्रेडिंग के कुछ मॉडल इसी आधार पर भावी भाव का अनुमान लगाते हैं। मूल बात है संभावनाओं को समझना। अब करते हैं गुरुवार का प्रस्थान…औरऔर भी